लखनऊ: उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ के चौक अशरफाबाद इलाके में सोमवार सुबह एक दिल दहला देने वाली घटना सामने आई, जहां एक कपड़ा व्यापारी ने पत्नी और बेटी के साथ जहर खाकर आत्महत्या कर ली। आत्मघाती कदम उठाने वाले कारोबारी की पहचान 48 वर्षीय शोभित रस्तोगी के रूप में हुई है। उनके साथ उनकी पत्नी शुचिता (45) और बेटी ख्याति (16) भी इस हादसे का शिकार हो गईं।
घटना से पहले शुचिता द्वारा लिखा गया सुसाइड नोट पुलिस को मिला है, जिसमें पारिवारिक कलह, आर्थिक तंगी और रिश्तेदारों की बेरुखी को मौत की वजह बताया गया है। सोमवार तड़के ख्याति की तबीयत बिगड़ने पर उसने अपनी ताई (शोभित के बड़े भाई की पत्नी) को कॉल कर बताया कि मम्मी-पापा की हालत खराब है, जल्दी आइए। जब परिवार के लोग पहुंचे तो घर अंदर से बंद था। दूसरी चाबी से दरवाजा खोला गया, तो शोभित, शुचिता और ख्याति बेसुध हालत में मिले। उन्हें तुरंत ट्रॉमा सेंटर ले जाया गया, जहां डॉक्टरों ने तीनों को मृत घोषित कर दिया।
सुसाइड नोट में दर्द और उपेक्षा की झलक
पुलिस के अनुसार, शुचिता ने सुसाइड नोट में लिखा कि उनकी मां के पास काफी संपत्ति है, लेकिन वे बार-बार कहने पर भी लखनऊ नहीं आईं। इसकी वजह उन्होंने अपनी बड़ी बहन को बताया, जिन्होंने मां को पैसे देने और लखनऊ आने से मना कर दिया। शुचिता ने यह भी लिखा कि अब मां का व्यवहार भी अच्छा नहीं रहा और उन्हें कहीं से कोई मदद नहीं मिली। उन्होंने अपने भाई की नेपाल में हुई हत्या और जीजा विवेक को लेकर भी सवाल उठाए।
जांच में सामने आया कि परिवार ने सल्फास की तीन पुड़िया कोल्ड ड्रिंक में मिलाकर सेवन किया। पुलिस को घटनास्थल से सल्फास की पुड़ियां और दो कोल्डड्रिंक की बोतलें मिली हैं। शोभित के करीबी और पड़ोसियों के मुताबिक, उन पर 45 से 50 लाख रुपये का कर्ज था। कुछ किस्तें बाउंस हो चुकी थीं, जिससे वे परेशान थे। रिकवरी एजेंट बार-बार घर और दुकान पहुंचकर तकाजा कर रहे थे। पुलिस का कहना है कि शोभित ने दो दिन पहले ही आत्महत्या की योजना बना ली थी। शनिवार को वह दुकान समय से पहले बंद कर घर आ गए और अगले दिन अपने भाई को चाबी देकर ससुराल जाने की बात कही।
रविवार को शोभित ने अपने भाई शेखर को घर की चाबी सौंपते हुए कहा था कि वह ससुराल जा रहे हैं। वहीं, पास के दुकानदारों के मुताबिक, शनिवार को भी उन्होंने दुकान जल्दी बंद कर दी थी। हालांकि किसी को उनके मन की हालत का अंदाज़ा नहीं हुआ।
ख्याति लखनऊ पब्लिक स्कूल, राजाजीपुरम में 11वीं की छात्रा थी और सोमवार को स्कूल जाने की तैयारी कर रही थी। उसने अपनी यूनिफॉर्म प्रेस करके रखी थी और किताबें भी जमा कर ली थीं। इससे साफ है कि निर्णय अचानक नहीं लिया गया, बल्कि यह कदम सुनियोजित तरीके से उठाया गया।
स्थानीय लोगों ने बताया कि शोभित के घर अक्सर रिकवरी एजेंट आते थे और अभद्रता करते थे। हैरान करने वाली बात ये रही कि आत्महत्या के बाद भी कुछ एजेंट घर पहुंचे थे, लेकिन पुलिस और भीड़ को देख चुपचाप लौट गए। पुलिस ने घटनास्थल से साक्ष्य जुटाकर जांच शुरू कर दी है। शोभित के आधार कार्ड और बैंक डिटेल्स खंगाली जा रही हैं, ताकि यह पता चल सके कि कितने और किन-किन स्रोतों से कर्ज लिया गया था।
सवाल छोड़ गया रस्तोगी परिवार
तीन जिंदगियों का यह अंत कई सवाल छोड़ गया है—क्या समय रहते मदद मिल जाती तो जान बचाई जा सकती थी? क्या कर्ज वसूली का दबाव इतना असहनीय था कि परिवार खत्म करने की नौबत आ गई? इस त्रासदी ने एक बार फिर आर्थिक तंगी और पारिवारिक उपेक्षा के गंभीर सामाजिक असर को उजागर कर दिया है।




