बॉबी छाबड़ा का खासमखास और भू माफियाओं का चहेता सहकारिता इंस्पेक्टर रिश्वत लेते हुआ ट्रेप

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इंदौर: इंदौर में लोकायुक्त पुलिस ने सोमवार को एक सीनियर को-ऑपरेटिव इंस्पेक्टर (co-operative inspector) को रिश्वत लेते हुए रंगे हाथ गिरफ्तार कर लिया। सहकारिता विभाग के सबसे महत्वपूर्ण सेक्शन का इंचार्ज यह इंस्पेक्टर इंदौर (indore) के भूमाफियाओं का सबसे चहेता रहा है। जिन गृह निर्माण संस्थाओं की जमीनों में गड़बड़ियां हुई है, उनमे से अधिकांश का काम इसी के पास रहा है। लोकायुक्त पुलिस (lokayukt police) को इंदौर की एक सहकारी संस्था तिलक सहकारी साख संस्था के अध्यक्ष दिलीप बौरासी IDilip Borasi) ने शिकायत की थी कि सीनियर को-ऑपरेटिव इंस्पेक्टर प्रमोद तोमर (Pramod Tomar) संस्था में गड़बड़ी बता कर कार्रवाई की धमकी दे रहे है। कार्रवाई ना करने के एवज में उन्होंने रुपए की मांग की है। इस शिकायत पर लोकायुक्त डीएसपी प्रवीण सिंह बघेल (lokayukt DSP Praveen Singh Baghel) ने योजनाबध्द तरीके से संस्था अध्यक्ष बोरासी को रिश्वत की आंशिक राशि दस हजार रुपए लेकर भेजा। तोमर ने रिश्वत की राशि लेकर जेब में रख ली उसी वक्त टीम ने दबोच लिया।

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कार्रवाई से दफ्तर में मचा हड़कंप –

लोकायुक्त पुलिस की इस कार्रवाई से सहकारिता विभाग (co-operative department) में हड़कंप मच गया। अपने अपने सेक्शन में काम कर रहे अधिकारी कर्मचारी चुपचाप खिसक लिए। इन लोगों के चेहरे पर एक घबराहट के भाव स्पष्ट नजर आ रहे थे। गौरतलब है कि बीते दस साल में सहकारिता विभाग ना सिर्फ चर्चा में रहा है बल्कि इंदौर में जमीनों की गड़बड़ियों को लेकर भी इसी विभाग को जिम्मेदार माना जा रहा है। ऐसे में इस कार्रवाई ने साबित कर दिया कि भ्रष्टाचार की जड़े महकमे में कितनी गहरी है।

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सबसे महत्वपूर्ण सेक्शन का इंचार्ज –

सीनियर इंस्पेक्टर प्रमोद तोमर (Pramod Tomar) को सहकारिता विभाग का सबसे वजनदार अधिकारी माना जाता है। गृह और विधि सेक्शन का इंचार्ज के रूप में लंबे समय से इंचार्ज बने रहना उसके रसूख को बताता है। इसके पीछे इंदौर (indore) के वो दमदार भूमाफिया (land mafia) भी है जिनका सीधा कनेक्शन सहकारिता विभाग के इसी सेक्शन से जुड़ा है। इंदौर विकास प्राधिकरण (IDA) से जिन गृह निर्माण संस्थाओं का संकल्प पारित है, उस संस्थाओं की वरियता सूची तैयार करने की जिम्मेदारी इसी सेक्शन की है। यहीं नहीं ऐसी संस्थाओं में विकास अनुज्ञा से लेकर भवन अनुज्ञा तक तमाम एनओसी भी यहीं से जारी होती है। जाहिर बात है जो अधिकारी भूमाफियाओं का मददगार होगा वही इस सेक्शन में लंबे समय तक टिक पाएंगा।

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एक हजार लोगों के भूखंड आईडीए में फंसे –

इंदौर विकास प्राधिकरण (IDA) ने जब अपनी योजनाओं का विस्तार किया तब उन योजनाओं की जद में काफी संख्या में गृह निर्माण संस्थाओं की जमीने आ गई। ऐसे में आईडीए (IDA) ने ऐसी संस्थाओं के साथ संकल्प अनुबंधित कर लिया। ऐसे 46 संस्थाएं है जिन्होंने संकल्प अनुबंधित किया था जिसमे से तीन संस्थाओं ने बाद में अनुबंध निरस्त करवा लिया। शेष 43 संस्थाओं को समय समय पर आईडीए से प्लाटों का आवंटन हुआ मगर 20 गृह निर्माण संस्था ऐसी है जिनके 913 सदस्यों के भूखंड आईडीए में फंसे हुए है। आईडीए ने इस संबंध में सहकारिता विभाग(co-operative department) को वरियता सूची भेजने का कई बार कह-। बीते दस साल में भी इन संस्थाओं की वरियता सूची तैयार नहीं हो सकी। कारण स्पष्ट है कि जिन संस्थाओं की भूखंड आईडीए को देना है उन सभी में गड़बड़ियां हुई है और हर बार कुछ ना कुछ कारण बता कर सूची अटका कर रखी जा रही है। इसकी जिम्मेदारी विभाग के गृह एवं विधि सेक्शन की है और सेक्शन इंचार्ज तोमर है। अब आप कारण समझ गए होंगे।

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