नई दिल्ली: देश में आई कोरोना की दूसरी लहर ने स्वास्थ्य व्यवस्थाओं को हिलाकर रख दिया है। अचानक बढ़े मरीजों के चलते अस्पतालों में बेड्स की कमी होने लगी थी। ऑक्सीजन और जरुरी दवाइयां मुश्किल से मिल पा रही थी। ऐसे में कई लोग इसकी कालाबाजारी करने लगे है और मजबूर लोगों को महंगे दामों में दे रहे हैं। दवाइयों की कालाबाजारी के अलावा अस्पतालों में बेड दिलाने के नाम भी कई लोगों मजबूरी का फायदा उठाया है।
राजधानी दिल्ली में अस्पतालों में बेड दिलाने के नाम पर जमकर फ्रॉड हुए। कई मामलों में शिकायत मिलने के बाद दिल्ली पुलिस ने ऑपरेशन साइबर प्रहार शुरू कर दिया है। इसके अंतर्गत 372 एफआईआर दर्ज की गई हैं, तो वहीं 91 आरोपियों को अब तक गिरफ्तार किया गया है।
जॉइंट सीपी साइबर सेल प्रेमनाथ ने बताया कि विभिन्न राज्यों से फ्रॉड का ये गेम चल रहा था। टीम द्वारा उन राज्यों के डीजीपी से संपर्क किया गया है। दिल्ली पुलिस साइबर सेल ने फ्रॉड करने वाले लोगों के खिलाफ कार्रवाई करने के साथ ही फ्रॉड के दौरान इस्तेमाल की गईं 95 डिवाइस को भी सीज किया गया है।
इतना ही नहीं साइबर सेल के अफसरों का दावा है कि जांच के बाद टीम ने साइबर अपराधियों तक 7 लाख रुपये की रकम पहुंचने से भी रोक ली है। वहीं टीम द्वारा फ्रॉड करने वाले 900 नंबरों को ट्रेस करके ब्लॉक कर दिया है। जॉइंट सीपी साइबर सेल प्रेमनाथ ने बताया कि साइबर सेल ने इस तरह की जालसाजी को रोकने के लिए अपनी 20 टीमें तैयार की थीं, जिसके बाद बड़ी सफलता टीम को हाथ लगी है।
डीसीपी साइबर सेल अन्येश रॉय ने बताया कि दिल्ली पुलिस की साइबर सेल ने फ्रॉड करने वाले 214 बैंक एकाउंट को सीज करवाया है।168 नंबर को ट्रू कॉलर की मदद से कोविड स्कैन के नाम से टैग करवाया है। यह साइबर अपराधी लोगों से आईसीयू के नाम पर, ऑक्सीजन सिलेंडर के नाम पर, रेमडेसिविर और अस्पताल में भर्ती कराने के नाम पर जालसाजी कर रहे थे। इनका नेटवर्क पश्चिम बंगाल, कर्नाटक, उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड और दिल्ली एनसीआर तक फैले हुआ।