कोटा: राजस्थान के कोटा के एक किसान ने मध्यप्रदेश पुलिस की प्रताड़ना से तंग आकर आत्महत्या कर ली है। मध्यप्रदेश पुलिस ने उसकी गाड़ी पकड़ ली थी। पुलिस गाड़ी छोड़ने के एवज में रुपये मांग रही थी। रुपये नहीं देने पर उसके खिलाफ शराब का झूठा केस बना दिया। इस केस को रफा-देना करने के लिए भी रुपयों की मांग की जा रही थी। इसी से परेशान होकर किसान ने जहर खा लिया। किसान ने सोशल मीडिया पर लिखा- मेरी अर्थी को तब तक मत उठाना। जब तक इंसाफ नहीं मिल जाए। दारू का केस झूठा है।
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खतौली के रहने वाले मृतक धर्मेंद्र के बेटे दीपक ने बताया कि 25 अक्टूबर को पिता अपने दोस्त ओमप्रकाश, नरेश बंसल, विकास के साथ जलालपुरा ताश पत्ती खेलने गए थे। इस दौरान पुलिस ने खेत में दबिश दी और सभी को तीन लोगों को पकड़ लिया। धर्मेंद्र वहां से भाग गया था। उसने गांव आकर पुलिस द्वारा गाड़ी पकड़े जाने की बात बताई। उसी दिन दीपक जलालपुरा चौकी पहुंचा और गाड़ी छुड़ाने के बारे में जानकारी ली।
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इस दौरान वहां मौजूद एसआई श्यामवीर यादव और अन्य पुलिसकर्मियों ने गाड़ी छोड़ने के लिए 20 हजार रुपये की मांग की। जब उन्होंने कहा कि, इतने रुपये नहीं है तो 26 अक्टूबर की सुबह पुलिस ने शराब का झूठा केस बना दिया। जब केस को लेकर परिजन पुलिस के पास पहुंचे, तो उनसे मामले को रफा-दफा करने के लिए दो लाख रुपये की मांग की। इतने रुपये की व्यवस्था नहीं होने की बात कहने पर उन्हें वहां से फटकार कर भगा दिया गया।
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बार-बार पुलिस पैसे मांगने से परेशान होकर धर्मेन्द्र ने हाथ की नस काट ली। हालांकि, परिजनों के समय रहते अस्पताल ले जाने पर उसकी जान बच गई लेकिन अगले दिन उसने जहर खा लिया। आत्महत्या करने से पहले उसने अपनी बेटी को मैसेज कर कहा- कोमल पुलिस वालों ने उस पर झूठा केस लगा दिया। यही बात उसने अपनी वॉट्सऐप स्टोरी में भी लिखी थी। साथ ही सोशल मीडिया पर लिखा- ‘मेरी अर्थी को तब तक मत उठाना। जब तक इंसाफ नहीं मिल जाए। दारू का केस झूठा है। परिजनों की मांग है कि परेशान करने वाले पुलिसकर्मी पर कार्रवाई की जाए।’