इंदौर. पांच साल तक ससुराल वालों की यातनाएं झेलने और उनके सुधरने का इंतजार करते हुए एक महिला कोर्ट पहुंवी। महिला को शादी के दूसरे दिन से ही प्रताडि़त करना शुरू कर दिया गया था। इसी प्रताडऩा के चलते उसके दो बच्चों की गर्भ में ही मौत हो गई। तीसरी बार जब बच्ची का जन्म हुआ तो उसे घर से निकाल दिया गया। इसके बाद भी वह पति और सास के रवैये में सुधार होने का इंतजार करती रही।
पीडि़ता की शादी 2019 में भोपाल के एक युवक से हुई थी। शादी के दूसरे ही दिन उनकी सास ने वर्जिनिटी पर सवाल उठा दिए। इसके बाद उसे छोटी-छोटी बातों के लिए प्रताडि़त किया जाने लगा। उसके साथ मारपीट भी की जाने लगी। जब वह पहली बार गर्भवती हुई तब भी उसे इतना प्रताडि़त किया गया कि बच्चे की गर्भ में ही मौत हो गई। इसके बाद भी ससुराल वालों को उस पर दया नहीं आई। उनकी प्रताडऩा दिन पर दिन और बढऩे लगी।
दूसरी बार फिर महिला गर्भवती हुई। उसके बाद भी वे नहीं सुधरे। उसे शारीरिक और मानसिक तौर पर इतना प्रताडि़त किया गया कि दूसरा बच्चे की भी गर्भ में ही मौत हो गई। इसके बाद ससुराल वालों ने बेरहती की सारी हदें पार कर दी। सास मृत बच्चे का डीएनए टेस्ट करवाना चाहती थी। दो बार गर्भ में बच्चा खोने के बाद भी महिला ससुराल वालों का हर जुल्म सहती रही ताकि परिवार न बिगड़े लेकिन ससुराल वाले सुधरने को तैयार नहीं हुए। तीसरी बार वह गर्भवती हुई और उसने बच्ची को जन्म दिया। इस पर ससुराल वालों ने उसे देवर के साथ मायके भेज दिया।
देवर ने महिला को उसके मायके छोडक़र आने की जगह उसे रास्ते में ही अकेला छोड़ आया। नवजात को लेकर महिला अकेली अपने घर पहुंची। इतनी प्रताडऩा सहने के बाद भी वह चुप रही और सबकुछ ठीक होने का इंतजार करती रही। जब कुछ ठीक होता नहीं दिखाई दिया तो उसने न्यायालय में न्याय की गुहार लगाई। न्यायालय ने महिला की गुहार सुन ससुराल वालों के खिलाफ घरेलू हिंसा का मामला दर्ज कर लिया है।