बढ़ती जा रही कालाबाजारी, कोरोना के बाद ब्लैक फंगस की दवाईयां बाजार से गायब

0
77

इंदौर: कोरोना संकटकाल में कालाबाजारी का कहर भी बढ़ता जा रहा है। कोरोना संक्रमित मरीजों के सामने अब ब्लैक फंगस नई मुसीबत बनकर आ गया है। ऑक्सीजन और रेमडेसिविर इंजेक्शन की कमी जैसे-तैसे दूर हुई, तो अब ब्लैक फंगस की चपेट में आए मरीजों को इसका इलाज नहीं मिल पा रहा है। ऐसा इसलिए क्योकि जिस तरह कोरोना के मरीज बढ़े और उसकी दवाइयों की मांग बढ़ने लगी, तो दवाईयां बाजार से गायब हो गई। उसी तरह अब ब्लैक फंगस की दवाईयां भी बाजार से गायब हो गई है।

ब्लैक फंगस से पीड़ित मरीजों को डॉक्टर्स एंफोटेरिक या फिर लिपोसोमल एंफोटोरिसिन बी नाम के इंजेक्शन लगाने की सलाह दे रहे हैं। ऐसे में अब इनका भी बाजारों से गायब होना मुश्किलें बढ़ा रहा है। दवाई की आपूर्ति के अलावा मरीजों के लिए महंगा इलाज भी मुसीबत बन रहा है।

मरीजों के परिजनों का कहना है कि, कोरोना के इलाज में ही पूरी जमा पूँजी लग गई है। अब ब्लैक फंगस के इलाज में रोजाना चार इंजेक्शन लगेंगे। एक इंजेक्शन की कीमत 8 हजार रुपए है। ऐसे में 25 दिनों के लिए 100 इंजेक्शन, जिनकी कीमत करीब 8 लाख रूपये होती है। इसके अलावा ब्लैक फंगस का इलाज आयुष्मान योजना के अंतर्गत नहीं होगा, तो पूरा बोझ हम पर ही आ रहा है।

Leave a reply

Please enter your comment!
Please enter your name here