इंदौर: फिल्मों में अक्सर देखा होगा पुलिस को अंडरकवर एजेंट बनकर केस का खुलासा करने और पर्दाफाश करते हुए। ऐसा ही मामला मध्य प्रदेश में भी देखने को मिला है, जहां एक कांस्टेबल शालिनी चौहान अंडरकवर एजेंट बनकर तीन महीने इंदौर के एमजीएम मेडिकल कॉलेज में नर्स बनकर रहीं और रैगिंग केस का पर्दाफाश किया। पूरी तरह से ब्लाइंड इस केस के आरोपियों तक पहुंचाने में शालिनी की भूमिका से मध्य प्रदेश का पुलिस महकमा भी उसकी कार्यशैली का मुरीद हो गया।
दरअसल 5 महीने पहले एमजीएम कॉलेज में हुई रैगिंग की शिकायत पुलिस को मिली थी। इसके बाद कॉन्स्टेबल शालिनी ने कॉलेज में मेडिकल स्टूडेंड बनकर एंट्री ली।इस दौरान उन्होंने कॉलेज में दोस्त बनाए, कैंटीन में समय बिताया और रैगिंग केस का खुलासा करने के लिए पर्याप्त सबूत जुटाए।
सीनियर आधिकारियों ने जिन छात्रों को चिन्हित किया था, शालिनी उनपर नजर रख रही थी और उनका बर्ताव नोट कर रही थी। उनका बर्ताव काफी रूखा और आक्रामक था। फिर पूरी रिपोर्ट शालिनी ने अपने सीनियर अधिकारियों को दी। वह हर रोज पांच-छह घंटे कैंटीन में, थोड़े-थोड़े अंतराल पर समय बिताती थी, ताकि किसी को शक ना हो। कैंटीन में समय बिताने के साथ ही वhह उन लोगों से पहचान करने लगी जो फ्रेशर्स की रैगिंग कर रहे थे।
इसके बाद पुलिस ने 10 छात्रों की पहचान करके उनके खिलाफ मामला दर्ज कर लिया। 10 में से 8 छात्रों को हिरासत में लेकर जमानत दे दी गई है लेकिन अब पुलिस आरोपी छात्रों के खिलाफ कोर्ट में चालान पेश करेगी। गौरतलब है कि महात्मा गांधी मेमोरियल मेडिकल कॉलेज में सीनियर छात्रों द्वारा फर्स्ट ईयर के छात्रों की रैगिंग का मामला 24 जुलाई को सामने आया था। जूनियर छात्रों ने एंटी रैगिंग हेल्पलाइन के जरिए मदद मांगी। आरोप लगाया गया कि थर्ड ईयर के छात्र फर्स्ट ईयर के छात्रों से मारपीट करते हैं और उन्हें प्रताड़ित करते हैं।
शालिनी चौहान मध्य प्रदेश पुलिस में हाल ही में कांस्टेबल के रूप में नियुक्त हुई है। इंदौर के संयोगितागंज थाने में तैनात शालिनी को हाल ही में पुलिस फोर्स में तैनात किया गया है। मिशन एमजीएम शालिनी चौहान का पहला ऑपरेशन था। शालिनी चौहान के पिता एक पुलिसकर्मी थे, जिनकी 2010 में मृत्यु हो गई। उसके बाद शालिनी की मां की भी एक साल बाद मौत हो गई। अपने पिता से प्रेरित होकर शालिनी चौहान पुलिस फोर्स में शामिल हुईं।