दो बेटियों के पिता थे धर्मदेव, जल्द घर लौटने का वादा कर हो गए शहीद

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नई दिल्ली: छत्तीसगढ़ के बीजापुर में नक्सली हमले में 22 जवान शहीद हुए है। इस शाहदत ने एक बार फिर देश को गहरे जख्म दिए है। शहीद हुए जवान अपने परिवार के पास सिर्फ अपनी यादें छोड़ गए है। किसी के घर का चिराग बुझ गया है, तो किसी के सिर से पिता का साया उठ गया है। इन्ही शहीद जवानों में से एक हैं पूर्वी उत्तर प्रदेश के चंदौली जिले के ठेकहां गांव के रहने वाले सीआरपीएफ की कोबरा बटालियन के धर्मदेव कुमार।

धर्मदेव कुमार की शाहदत के बाद उनकी दो बेटियों के सिर से पिता का साया उठ गया है। वह अपने तीन भाइयों में सबसे बड़े थे. इनके छोटे भाई धनंजय भी सीआरपीएफ में हैं। खास बात यह है कि दोनों भाई सन 2013 में एकसाथ सीआरपीएफ में भर्ती हुए थे और दोनों की पोस्टिंग भी छत्तीसगढ़ में ही थी। वर्तमान समय में धनंजय कुमार की पोस्टिंग मुठभेड़ वाली जगह से तकरीबन 200 किलोमीटर की दूरी पर बताई जाती है।

धर्मदेव कुमार के सबसे छोटे भाई आनंद कुमार गांव में अपने माता पिता के साथ रहते हैं। धर्मदेव कुमार की 8 साल और 2 साल की दो बेटियां हैं और पत्नी मीना देवी एक बार फिर गर्भवती है। इस घटना के बाद पूरे गांव में मातम पसरा है और परिजन सरकार से इस बात की अपील कर रहे हैं कि सरकार इस शहादत का बदला ले।

धर्मदेव के पिता रामाश्रय गुप्ता ने बताया कि मार्च के महीने में वो छुट्टी लेकर गांव आए थे। होली के 10 दिनों पहले धर्मदेव छुट्टी बिताकर वापस ड्यूटी पर लौटे थे। ड्यूटी पर जाते समय उन्होंने जल्द वापस आने का वादा किया था। लेकिन अब उनकी शहादत की खबर आई है।

उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा परिवार को हर संभव आर्थिक मदद की घोषणा की गई है। 50 लाख रुपए की परिवार को आर्थिक सहायता,परिवार के एक सदस्य को नौकरी और जनपद के एक प्रमुख सड़क का नाम शहीद धर्मदेव कुमार के नाम पर की जाने की घोषणा की गई है।

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