दिल्ली में खतरे में पड़ी 68 मरीजों की जान, आधी रात IPS अधिकारी ने ओडिशा से कराया ‘संजीवनी’ का इंतजाम

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नई दिल्ली: कोरोना एक बार फिर तांडव मचा रहा है। ऐसे में कोरोना से बचने के नियमों का पालन करवाना हो या मरीजों के लिए किसी भी चीज की व्यवस्था करना हो, वर्दीवाले इन सभी के लिए फिर मैदान में उतर गए है। इसी कड़ी में ओडिशा कैडर के वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी 68 मरीजों के लिए फ़रिश्ता बनकर सामने आए। उन्होंने दिल्ली के राठी अस्पताल में ऑक्सीजन बेड पर भर्ती 68 कोरोना मरीजों की जान बचाई है।

केंद्रीय गृह मंत्रालय में सचिव पद पर तैनात संजीव गुप्ता की मदद से उन्होंने अस्पताल तक न सिर्फ ऑक्सीजन भरा वाहन समय पर पहुंचाया, बल्कि स्थानीय संगठनों से संपर्क कर अस्पताल के लिए फौरी तौर पर सिलेंडर भी भिजवाए। भारतीय पुलिस सेवा के वरिष्ठ अधिकारी अरुण बोथरा ओडिशा राज्य सड़क एवं परिवहन निगम के संचालन निदेशक पद पर तैनात हैं।

दरअसल, गुरूवार रात को उन्होंने राठी अस्पताल का एक ट्वीट देखा था, जिसमें 68 मरीजों की जान बचाने के लिए मदद की गुहार लगाई गई थी। ट्वीट में लिखा कि हमारे अस्पताल में 68 मरीज ऑक्सीजन पर हैं। अब दो घंटे में ही अस्पताल के ऑक्सीजन का पूरा स्टॉक खत्म हो जाएगा। सुबह से लेकर रात तक हमने सबसे अनुरोध कर लिया, मगर कोई नहीं सुन रहा है। किसी भी तरह हमारी मदद करें, ताकि 68 मरीजों की जान बच सके, हम इसके लिए विनती करते हैं। सिलेंडरों में जितनी ऑक्सीजन है वह रात दो से चार बजे के बीच खत्म हो जाएगी।

यह ट्वीट देखते हो वह किसी तरह मरीजों की जन बचाने की कोशिश में जुट गए। उन्होंने तुरंत इस ट्वीट को री-ट्वीट किया। बोथरा ने लिखा कि नई दिल्ली स्थित राठी अस्पताल में ऑक्सीजन की कमी दिख रही है। कोई मदद कर सकता है क्या? बोथरा के इस ट्वीट को पढ़ने के बाद केंद्रीय गृह मंत्रालय में सचिव पद पर तैनात संजीव गुप्ता भी सक्रिय हुए। गुप्ता ने गृह मंत्रालय नियंत्रण कक्ष को इस संबंध में जानकारी दी। बोथरा ने नई दिल्ली स्थित इंडिया केयर नामक एक स्वयंसेवी संगठन के कार्यकर्ताओं के साथ संपर्क किया।

इसके अलावा बोथरा ने नई दिल्ली में भाजपा नेता तजिंदर पाल सिंह बग्गा और वैशाली पोद्दार से संपर्क किया। इन दो लोगों ने तुरंत 10 ऑक्सीजन सिलेंडर अस्पताल में भिजवाने की व्यवस्था की। दूसरी तरफ बोथरा ने नई दिल्ली से हरियाणा के मानेसर के बीच विभिन्न पुलिस अधिकारियो से बात कर गैस सिलिंडर भरे ट्रक का रास्त क्लीयर कराने का आग्रह किया। सबने मिलकर कोशिश की और काफी कम समय में रात तीन बजकर 20 मिनट पर ट्रक भी अस्पताल पहुंच गया।

 

 

 

 

 

 

 

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