बहन से छेड़छाड़, परिवार का उत्पीड़न और नेता के वरदहस्त ने अंशु दीक्षित को बनाया अपराधी

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नई दिल्ली: उत्तर प्रदेश के चित्रकूट की जेल में शुक्रवार को तीन बदमाशों की मौत हुई है। जेल के बंद अंशु दीक्षित ने दूसरे गुट के दो बदमाशों मुकीम काला और मेराज की गोली मारकर हत्या कर दी है। इसके बाद अंशु दीक्षित की पुलिस से भी मुठभेड़ हो गई, जिसमें वह मारा गया। आखिर अंशु दीक्षित अपराध की दुनिया में कैसे आया और कैसे उसका रूतबा बढ़ता गया, यहां हम आपको बताते हैं।

अंशु का आपराधिक सफर सीतापुर जिले के मानकपुर से शुरू हुआ। लखनऊ विश्व विद्यालय में दाखिला लेने के बाद कूद कुड़रा बनी का रहने वाला अंशु दीक्षित अपराधियों के संपर्क में आया। इसके बाद उसने कई वारदातों को अंजाम देकर अपना खौफ कायम किया। एसटीएफ की मानें तो अंशु ने सुधाकर पांडेय, जय सिंह, संतोष सिंह व विक्रांत मिश्र के साथ मिलकर कई हत्याएं की हैं।

2008 में वह बिहार के गोपालगंज में अवैध असलहों के साथ पकड़ा गया था। 17 अक्टूबर 2013 को जब पेशी से लौट रहा था, तब सीतापुर रेलवे स्टेशन पर उसने सिपाहियों को जहरीला पदार्थ खिलाया और फायर करते हुए फायर हो गया था। इसके बाद 27 सितंबर 2014 को अंशु की भोपाल में मौजूदगी की सूचना पर एसटीएफ लखनऊ के दारोगा संदीप मिश्र उसे गिरफ्तार करने गए थे।

संदीप मिश्र ने भोपाल क्राइम ब्रांच की टीम के साथ उसे पकड़ने के लिए घेराबंदी की, तो शार्प शूटर फायरिंग कर भाग निकला।. इस गोलीबारी में दारोगा संदीप मिश्र और क्राइम ब्रांच भोपाल के सिपाही राघवेंद्र को गोली लगी थी। पेशेवर शूटर का लखनऊ में गोरखपुर के तत्कालीन सभासद फौजी व सीएमओ हत्याकांड में भी नाम आया था।

इसके बाद 4 दिसंबर 2014 को यूपी एसटीएफ के उपाधीक्षक विकास त्रिपाठी के नेतृत्व में टीम को इस शार्प शूटर के गोरखनाथ थाना क्षेत्र में होने की सूचना मिली थी। सूचना पर एसटीएफ की टीम सक्रिय हुई थी और कुछ देर बाद ही इनका आमना- सामना हो गया। पुलिस को देखते ही अंशु फायर कर भागने लगा था, लेकिन पुलिस की टीम ने उसे दबोच लिया।

अंशु के पास से एक 09 एमएम पिस्टल, कट्टा, कारतूस, मोबाइल व फर्जी पहचान पत्र बरामद हुए थे। अंशु पर भोपाल रेंज के डीआइजी ने 10 हजार व डीआइजी जीआरपी लखनऊ ने पांच हजार रुपये का इनाम घोषित कर रखा था। पुलिस की गिरफ्त में आयाअंशु कई बड़ी वारदातों को अंजाम दे चुका था।

ऐसे रखा था अपराध की दुनिया में कदम

कस्टडी में अंशु ने अपने अपराध की दुनिया के सफर में शामिल होने की एक कहानी भी पुलिस को सुनाई थी। उस कहानी के मुताबिक उसने पुलिस वालों को बताया कि एक राजनैतिक पार्टी के नेता का बेटा उसकी बहन से छेड़छाड़ करता था। ऐसी हरकत से मना करने पर उस नेता के बेटे ने गुंडई की और सरेआम पिटाई करने के बाद अंशु पर गोली दाग दी। इस हमले में अंशु के पैर पर गोली लगी थी।

जब अंशु इसकी शिकायत लेकर थाने पहुंचा तो एसओ ने कार्रवाई करने से मना कर दिया। इस दौरान उसके पूरे परिवार का उत्पीड़न किया गया। इस उत्पीड़न की वजह से उसकी भाभी को काफी तकलीफ उठानी पड़ी, इस दौरान भाभी का गर्भपात ही गया। उसके बाद से अंशु ने ठान लिया कि वह अब बदला लेकर ही रहेगा। अंशु को फैजाबाद के एक नेता का वरदहस्त मिला, इसलिए वह आराम से अपने काम को अंजाम देता गया।

 

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