शराब सिंडिकेट सरगना एके सिंह: कुछ ऐसी है ब्लेकर से लिकर किंग बनने की कहानी

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इंदोर।‌‌ सोमवार को शराब सिंडिकेट के दफ्तर पर शराब ठेकेदार अर्जुन ठेकेदार को गोली मारने की घटना के बाद सिंडिकेट के सरगना के रूप में जिस ए के सिंह का नाम सामने आया है वह शराब के कारोबार में आने के पहले उत्तर प्रदेश के माफिया मुख्तार अंसारी का खासम खास था ‌‌। आज इंदौर के शराब कारोबार में अपना अच्छा खासा दबदबा स्थापित कर

चुके सिंह ने ब्लेकर के रूप में इस कारोबार में प्रवेश किया था और आज इंदौर के कई बड़े शराब ठेकेदार उसकी उंगलियों पर नाच रहे हैं। अब उसकी गिनती छोटे शराब ठेकेदारों के वित्त पोषक के रूप में भी होती है।

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25 साल पहले गाजियाबाद से इंदौर शराब का कामकाज करने के लिए ए.के. सिंह यहां आकर स्थापित हो गए। उस वक्त उन्होंने नानक सिंह अजवानी के साथ अन्य राज्यों के परमिट लाने के बाद पूरे प्रदेश में अवैध शराब का बड़ा जाल स्थापित कर लिया। अन्य राज्यों के परमिट की शराब धड़ल्ले से बिकने लगी। इसी काम में उस जमाने के और शराब माफिया पिंटु भाटिया, खान ग्रुप अलग-अलग काकस चलाने लगे। इस बीच शराब के फेक्ट्री चला रहे रतन केड़िया की कंपनी आर्थिक दिक्कतों में उलझ गई। उस समय बड़ी राशि पिंटु छाबड़ा, नानक सिंह, गौतम बंधु ने देकर पीथमपुर के बाटलिंग प्लांट में अपनी अवैध शराब की पैकिंग शुरू करा दी। यह दो नंबर की शराब इसके बाद दुकान लेने वाले ठेकेदारों के साथ पार्टनरी डालकर बेची जाने लगी। इसके बाद चीप ब्रांड की शराब इस फेक्ट्री में अवैध रूप से धड़ल्ले से बनकर दुकानों पर पहुंचने लगी।

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satish bhau AK singh

धीरे-धीरे पूरे शहर में तीन नंबर पर कब्जा हुआ। अब झांसी के रमेशचंद्र राय जिनके पास धार की मोनोपाली है, वे लंबे समय से इंदौर पर कब्जा करने के लिए लगे हुए थे। इस बार उन्होंने ए.के. सिंह के अलावा नन्हें सिंह, पिंटु भाटिया, मुकेश शिवहरे को पार्टनर बनाकर यहां पर मोनोपाली की तैयारी की, ताकि इंदौर में अवैध शराब नहीं आए और तीन नंबर का माल का कारोबार जमकर हो सके। अब इंदौर का ठेका इन्हीं के पास है। दूसरी ओर लंबे समय से इंदौर में कई दुकानों पर अपनी मोनोपाली बनाने वाले संतोष रघुवंशी को रमेश राय ने अपने समूह में शामिल नहीं किया है। जिस बैठक में गोली चली, उसमें छह गोली चलाई गई है। अवैध शराब को रोकने के लिए और डुप्लीकेट शराब (3 नंबर का माल) को बेचने के लिए यह बैठक थी, जिसमें आहतों के कब्जे को लेकर भी विवाद होने के बाद पिंटु ठाकुर और हेमू ठाकुर ने अर्जुन ठाकुर पर गोली चला दी।

लाशे ढोते नहीं बनेगी

1977 के शराब कांड की स्थिति में अब इंदौर पहुंच गया है। जिस तरीके से यहां शराब के खेल में अधिकारियों का पैसा लगा है, वहीं अब अपराधियों का भी पैसा इसमें तेजी से आ रहा है। ऐसे में उन्हें शराब के पैसे से मतलब है। कई जगहों पर शराब का स्तर बेहद दोयमदर्जे का हो गया है। अब इंदौर का शराब कारोबार ठेकेदारों के हाथ से निकलकर स्मलगरों के पास पहुंच गया है। इसलिए आने वाले समय में गैंगवार और बड़े शराब कांड की ओर अब शहर खड़ा हो गया है। किसी भी दिन इस शहर में यह दोनों हादसे दिखाई देंगे। वहीं भाजपा के दो ताकतवर नेता जो इस गोलीकांड के बाद आमने-सामने हो गए हैं, एक धड़ा ए.के. सिंह को बचाने में लगा है, दूसरा अर्जुन ठाकुर के साथ है। कल दोनों दिग्गज नेताओं के बीच इस मामले में समझौता कराने को लेकर भी आपस में प्रयास हुए, परन्तु फिलहाल कोई सफलता नहीं मिली। वहीं पुलिस विभाग के दिग्गजों का कहना है कि अगले दो महीनों में ही यह मामला समझौते की टेबल पर पहुंच जाएगा। हिस्सा-बांटा तय होते ही पुलिस विभाग कुछ नहीं कर पाएगा। ए.के. सिंह के दिल्ली के ताकतवर मंत्री से भी बड़े रिश्ते है।

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शराब की गंगा में कई नहाए

इंदौर शहर के करोड़ों रुपए के शराब कारोबार में भाजपा और कांग्रेस के कई दिग्गज नेता और उनके नजदीकी भी जुड़े हुए है। दो आदतन अपराधी के भी दो-दो करोड़ से ज्यादा की हिस्सेदारी मौजूद है।

कई शराब ठेकेदार पीछे हटे

शहर में शराब ठेकेदारी में गुंडों और अपराधियों के रमेशचंद्र राय और ए.के. सिंह के आने के बाद घुस जाने के बाद पुराने दिग्गज शराब ठेकेदारों ने अपनी हिस्सेदारी दो प्रतिशत से भी कम कर पीछे खसकना ही बेहतर समझा। इसमें प्रमुख रूप से मोनू भाटिया, सत्यनारायण जायसवाल, अखिलेश राय, रायपुर वाले पप्पू भाटिया शामिल है।

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