कानपुर | उत्तर प्रदेश के कानपुर में एक प्राइवेट बस में मोबाइल चार्ज करने को लेकर शुरू हुआ मामूली विवाद देखते ही देखते मारपीट और धमकी तक पहुंच गया। अहमदाबाद से राजस्थान होते हुए कानपुर आ रही इस बस में महिला यात्री और बस ड्राइवर की पत्नी के बीच जमकर हाथापाई हुई। मामला इतना बढ़ा कि ड्राइवर ने बस रोकने के बजाय स्पीड और बढ़ा दी। अंततः एक ट्रैफिक दरोगा की सतर्कता से बस को रुकवाया गया और दोनों पक्षों पर कार्रवाई की गई।
यह घटना शुक्रवार शाम करीब 7:30 बजे की है। शाहजहांपुर निवासी पारुल सिंह अपने भाई नितिन के साथ चित्तौड़गढ़ से सांवरिया सेठ मंदिर के दर्शन कर लौट रही थीं। दोनों अहमदाबाद से कानपुर आ रही एक प्राइवेट बस में सवार थे। बस जालौन निवासी सोनू विश्वकर्मा चला रहा था, जिसकी पत्नी रेनू और दो साथी अभिषेक सिंह व मो. सलीम उर्फ मोनू भी बस में मौजूद थे।
कानपुर की सीमा में प्रवेश करते समय पारुल ने मोबाइल चार्ज करने के लिए चार्जिंग पोर्ट इस्तेमाल करना चाहा, जिसे लेकर रेनू से विवाद हो गया। देखते ही देखते कहासुनी ने मारपीट का रूप ले लिया। रेनू ने पारुल के बाल खींचकर उसे नीचे गिराने की कोशिश की, तो पारुल ने लात मारकर खुद को बचाया।
बीच-बचाव करने पर भाई को भी पीटा
पारुल के भाई नितिन ने जब बीच-बचाव किया तो ड्राइवर के साथी अभिषेक और मो. सलीम ने उसके साथ भी मारपीट कर दी। इस दौरान बस में अफरातफरी मच गई। पारुल ने ड्राइवर से बस रोकने को कहा, लेकिन रेनू ने उसे बस न रोकने की हिदायत दी। इसके बाद ड्राइवर ने बस की रफ्तार बढ़ा दी।
बस पनकी अर्मापुर नहर के पास पहुंची ही थी कि पारुल ने सड़क किनारे ट्रैफिक दरोगा राजकुमार सिंह तोमर को खड़ा देखा। उन्होंने तुरंत ‘हेल्प-हेल्प” चिल्लाना शुरू किया। सतर्क दरोगा ने तुरंत प्रतिक्रिया दी और 1 किलोमीटर तक कार से बस का पीछा कर उसे रुकवाया। पुलिस ने दोनों महिलाओं के खिलाफ कार्रवाई की है।




