दहेज की दरिंदगी ने छीन ली मनीषा की ज़िंदगी, शरीर पर लिख गई अपना आख़िरी दर्द

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बागपत। जिससे सात जन्मों का साथ मांगा था, उसी ने दो साल में पराया कर दिया…”— यह दर्द सिर्फ़ मनीषा की जुबान का नहीं, बल्कि उसकी रूह का था, जिसे उसने आख़िरी बार अपने ही शरीर पर लिखा।

बागपत के रठौड़ा गांव की 24 वर्षीय मनीषा ने ज़हर खाकर अपनी जान दे दी। बुधवार सुबह उसका शव घर के कमरे में मिला। मौत से पहले मनीषा ने अपनी बाहों और पैरों पर सुसाइड नोट लिख डाला— जिसमें पति, सास, ससुर और दो देवरों को अपनी मौत का जिम्मेदार बताया।

शादी को अभी दो साल ही हुए थे, लेकिन मनीषा का ससुराल उसके लिए एक कैदख़ाना बन चुका था। वह लिखती है, “मुझे कई दिन भूखा रखा गया, कमरे में बंद करके पीटा गया। दहेज में और रुपये नहीं दिए तो गोलियां देकर मेरा गर्भपात करवा दिया।”

उसके पिता तेजवीर, जो गाजियाबाद नगर निगम में कार्यरत हैं, ने बताया कि 2023 में बड़ी उम्मीदों से मनीषा की शादी सिद्धिपुर निवासी युवक से की थी। शादी में बुलेट बाइक तक दी गई, लेकिन कुछ ही महीनों में ससुराल वाले थार गाड़ी और लाखों रुपये की मांग करने लगे। बेटी का बार-बार उत्पीड़न होते देख जुलाई 2024 में वे उसे मायके ले आए। दो बार पंचायतें हुईं लेकिन पति का व्यवहार नहीं बदला। चार दिन पहले तलाक की बात तय हुई, मगर जब मनीषा से कागज़ों पर हस्ताक्षर की बात हुई, उसने मना कर दिया।

उस रात, सबके सो जाने के बाद मनीषा ने खेतों में छिड़कने वाला कीटनाशक पी लिया। सुबह जब परिवार की नींद खुली, मनीषा ने हमेशा के लिए आंखें मूंद ली थीं।

बेटी ने अपने शरीर को आख़िरी इबारत बना लिया…

पुलिस ने बताया कि परिजनों की शिकायत के आधार पर मामला दर्ज किया जाएगा। मनीषा के शरीर पर लिखा गया सुसाइड नोट जांच के लिए सुरक्षित रखा गया है और हर एंगल से छानबीन जारी है।

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