सुबह दहाड़े मुख्यमंत्री लेकिन 24 घंटे बाद भी ‘नो एक्शन’

0
63

 

अरविंद तिवारी

शिवराज जी, यह तो गजब ही हो गया। शनिवार सुबह राज्य के मुख्य सचिव और डीजीपी की मौजूदगी में इंदौर के एक टी आई के भ्रष्टाचार पर आप जमकर दहाड़े थे। आप यहां तक कह गए कि तत्काल कार्रवाई करिए इस तरह भ्रष्टाचार का गदर मचाने वाले टीआई पर। लेकिन 24 घंटे बाद भी ‘नो एक्शन’। राज्य के डीजीपी सुधीर सक्सेना और इंदौर के पुलिस कमिश्नर हरिनारायण चारी मिश्रा आखिर इतने असहाय क्यों? इंदौर की जनता जानना चाहती है कि आखिर इतना पावरफुल टीआई कौन है जिसका मुख्यमंत्री की हिदायत के बाद भी बाल बांका नहीं हुआ।

आपने कहा था,भ्रष्टाचार के मामले में जीरो टॉलरेंस, आपका एक वीडियो भी सोशल मीडिया पर वायरल हुआ जिसमें आप इंदौर के एक टीआई के भ्रष्टाचार का उल्लेख करते हुए प्रदेश के आईजी और एसपी से कह रहे हैं कि लिस्ट बनाइए किसी को छोड़ना मत और एडीजी इंटेलिजेंस को जानकारी भेजिए। मौका आने पर ऐसे भ्रष्टाचारियों के यहां हम ईओडब्ल्यू के छापे भी डलवाएंगे।

सामान्यतः मुख्यमंत्री के इस तरह एक्शन में आने का नतीजा भी तत्काल देखने को मिलता है। लेकिन इस बार अभी तक तो नो एक्शन। अब सवाल यह उठता है कि आखिर इतना ताकतवर टीआई कौन है जिस पर मुख्यमंत्री के इतने सख्त निर्देश के बाद भी कार्यवाही नहीं हो पाई।
बेहद साफ-सुथरे माने जाने वाले इंदौर के पहले पुलिस कमिश्नर हरिनारायण चारी मिश्रा आखिर इतने असहाय क्यों हैं ? क्यों मुख्यमंत्री की इतनी स्पष्ट हिदायत के बावजूद डीजीपी कुछ नहीं कर पा रहे हैं? आखिर ऐसी कौन सी मजबूरी है कि लगातार भ्रष्टाचार की शिकायतें मिलने के बावजूद उक्त टीआई का बाल भी बांका नहीं हो पाता है। सवाल यह भी उठ रहा है कि आखिर मुख्यमंत्री को उस टीआई का नाम बताने से परहेज क्यों ? जो मुख्यमंत्री छात्रों के साथ अप्रिय संवाद करने वाले झाबुआ एसपी को कुछ ही मिनट में हटा देते हैं उन्होंने सीधे डीजीपी को कहकर ही एक्शन क्यों नहीं करवाया।

चर्चा तरह-तरह की चल पड़ी है। कोई कह रहा है इंदौर के एक कारोबारी ने भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा तक अपनी पीड़ा पहुंचाई और वहां से मुख्यमंत्री तक पहुंचे निर्देशों के बाद इतने तीखे तेवर सामने आए। कुछ लोगों का कहना है कि धोखाधड़ी के एक बड़े मामले में आरोपी को बचाने के लिए बडी राशि मांगी गई थी। सौदा तय भी हो गया था अचानक 2 दिन पहले आंकड़ा बढ़ा दिया गया। इसी के बाद भाजपा के एक वरिष्ठ नेता ने शुक्रवार को मुख्यमंत्री को पूरी कहानी बताएं। सुनने में अजीब लगेगा लेकिन कोई टीआई किसी भी मामले के निराकरण के लिए 8 या 9 अंकों में राशि मांगने लगे तो चौंकना स्वाभाविक है।

सुनने में यह भी आ रहा है कि यह वही टीआई है जिन्हें कुछ दिनों पहले इस पद से हटा दिया गया था। बाद में एक मौखिक आदेश से उन्हें वापस उसी पद पर पदस्थ कर दिया गया। यह संभवतः है वही टीआई हैं जिनके बारे में यह मशहूर है कि वह अपनी मर्जी के मुताबिक ही काम करते हैं उन पर न पुलिस कमिश्नर का आदेश चलता है नाही एडिशनल पुलिस कमिश्नर या डीसीपी। एडिशनल डीसीपी क्राइम या एसीपी क्राइम की तो इतनी बिसात भी नहीं कि वह इन टीआई को कुछ कह सके। इनके बारे में कहा यह जाता है कि तार सीधे ऊपर जुड़े हुए हैं इसलिए कोई कुछ कर नहीं पाता।

इंदौर की जनता पुलिस कमिश्नर हरिनारायण चारी मिश्रा से यह भी जानना चाहती है कि आखिर मुख्यमंत्री की इतनी सख्त हिदायत के बावजूद उक्त टीआई पर कार्यवाही क्यों नहीं हो पाई ? पुलिस कमिश्नर को आखिर इंतजार किस बात का है? क्या पुलिस उसी ढर्रे पर काम करना चाहती है कि कोई शिकायत लेकर पहुंचे, फिर उसकी जांच किसी अफसर को सौंपी जाए, इसी बीच जिसके खिलाफ शिकायत की गई है वह सक्रिय हो जाए, शिकायतकर्ता पर दबाव बनाने लगे और आखिरी में शिकायत करने वाले पर ही इतना वजन रख दिया जाए कि वह हाथ जोड़कर कहने लगे कि माफ करें कमिश्नर साहब मुझे कोई कार्यवाही नहीं चाहिए।

हरिनारायणचारी जी कुछ ही दिनों पहले अमीश त्रिपाठी ने एक कार्यक्रम में आप से रूबरू होते हुए कहा था कि आप शस्त्र और शास्त्र दोनों में पारंगत है। ‌आप इस शहर की रग रग से वाकिफ है। आईपीएस प्रोबेशनर के रूप में आपने इंदौर से अपने करियर की शुरुआत की और अब पुलिस कमिश्नर है। इंदौर में ऐसे टीआई कम नहीं है जो पुलिस की साख पर बट्टा लगाने में कोई कसर बाकी नहीं रख रहे हैं।‌ इंदौर के कई पुलिस थाने ‘तोड़ बट्टे’ के बड़े केंद्र बन गए हैं। थानों में आवेदन लेकर वर्दी के दम पर पैसा उगाही का जो खेल चल रहा है वह अब सार्वजनिक चर्चा का मुद्दा बन गया है। इसमें वे तमाम नेता भी दोषी हैं जो भारी लेनदेन कर टी आई की पोस्टिंग करवा रहे हैं और फिर इन नेताओं के दलाल टीआई से सांठगांठ कर जमकर पैसा उगा रहे हैं। इंदौर के कई नेताओं को थानों से मासिक बंदी जा रही है।

कमिश्नर साहब, पुलिस की साख पर सवाल खड़े करने वाले और जनता के पुलिस पर भरोसे के साथ खिलवाड़ करने वाले इन अफसरों को बिल्कुल मत बख्शिये। इन लोगों के कारण आप जैसे साफ-सुथरे और कर्मठ अधिकारी पर भी लोगों को बेवजह उंगली खड़ा करने का मौका मिल जाता है। ‌ थोड़ा आक्रमक रुख दिखाइए। ‌ हमने इस शहर में बीबी माने पाटील से लेकर सुरजीत सिंह और फिर पन्नालाल,अनिल धस्माना से लेकर संजीव शमी का दौर भी देखा है। यहां के भ्रष्ट मातहत अफसर इनके सामने खड़े होते ही कांपने लगते थे। इन अफसरों ने अनेक भ्रष्ट लोगों की वर्दी खूंटी पर टंगवा दी थी। आपकी भलमनसाहत का यह लोग गलत फायदा उठा रहे हैं। हम सबको इंदौर मैं पुलिस कमिश्नर सिस्टम से बहुत अपेक्षा है और इस अपेक्षा पर खरा उतरना आपके लिए भी एक बड़ी चुनौती है।

Leave a reply

Please enter your comment!
Please enter your name here