जबलपुर: मध्य प्रदेश के जबलपुर में सहायक आबकारी आयुक्त संजीव दुबे एक बार फिर विवादों में घिर गए हैं। गुरुवार शाम उन्होंने एक शराब ठेकेदार की चार दुकानों में घुसकर कर्मचारियों से कथित तौर पर मारपीट की और दुकानों को सरेंडर करने का दबाव बनाया। इस घटना के सीसीटीवी फुटेज भी सामने आए हैं।
आरोप है कि संजीव दुबे ने अवैध वसूली के लिए दबाव बनाया और मांग पूरी न होने पर बरेला, धनपुरी, पड़वार और बरेला नंबर-2 की दुकानों में जमकर हंगामा किया। यह सभी दुकानें अजय सिंह बघेल के जागृति इंटरप्राइजेज ग्रुप की हैं। बघेल का कहना है कि मारपीट के बाद कुछ दुकानों से सीसीटीवी की डीवीआर भी जबरन ले जाई गई।
“सरेंडर कर दो, वरना तबाह कर दूंगा”
ठेकेदार अजय सिंह बघेल ने आबकारी मंत्री, मुख्यमंत्री और वाणिज्यकर विभाग के प्रमुख सचिव को पत्र भेजकर पूरे घटनाक्रम की शिकायत की है। उन्होंने आरोप लगाया कि संजीव दुबे ने कहा, *”अपने मालिक से कहो कि दुकान सरेंडर कर दे, नहीं तो बर्बाद कर दूंगा।”*
बघेल ने यह भी बताया कि दुकानों पर काम करने वाले सेल्समैन अमर गुप्ता, उपेंद्र मिश्रा सहित कई कर्मचारी भयभीत होकर काम छोड़ गए हैं। इससे दुकान संचालन ठप हो गया है और बिक्री पर असर पड़ रहा है।
बरेला थाने में संजीव दुबे और उनके साथियों के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई गई है। उधर, आबकारी आयुक्त अभिजीत अग्रवाल ने बयान दिया है कि, अगर कोई मारपीट हुई है तो पुलिस जांच करेगी, विभाग का इससे कोई लेना-देना नहीं है।
पहले भी विवादों में रहे संजीव दुबे
संजीव दुबे पहले भी कई बार विवादों में घिर चुके हैं। इंदौर में ट्रेजरी चालानों में कथित हेराफेरी से जुड़े 40 करोड़ रुपए के आबकारी घोटाले और भोपाल में अवैध शराब परिवहन जैसे गंभीर आरोप उनके खिलाफ लगे थे। जबलपुर तबादले के बाद भी उनका रवैया नहीं बदला और अब शराब ठेकेदारों में दहशत फैल गई है।
ऑफिस पर लगाया ‘सूचना पोस्टर’
विवाद बढ़ते देख संजीव दुबे ने अपने कार्यालय के बाहर एक पोस्टर चिपकाया है, जिसमें मीडिया से आग्रह किया गया है कि आबकारी विभाग से जुड़ी खबरों के लिए उनसे नहीं, बल्कि सहायक जिला आबकारी अधिकारी दृगचंद चतुर्वेदी से संपर्क करें।
अजय सिंह बघेल ने चेतावनी दी है कि अगर मारपीट और धमकी का सिलसिला जारी रहा और कर्मचारी नहीं लौटे, तो दुकानों को मजबूरन बंद करना पड़ेगा। उन्होंने कहा कि लाइसेंस फीस समय पर भरी जा रही है, फिर भी अधिकारी परेशान कर रहे हैं।
अब ठेकेदार न्यायालय की शरण लेने की तैयारी कर रहे हैं। सवाल यह है कि क्या आबकारी विभाग कार्रवाई करेगा या विवादों से घिरे अफसरों को खुली छूट मिलती रहेगी?




