अलवर: राजस्थान के अलवर जिले में पुलिस कार्रवाई को लेकर गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं। आरोप है कि शिवाजी पार्क थाने की पुलिस ने एक नाबालिग को गिरफ्तार कर लॉकअप में रखा, उससे मारपीट की, और चोरी के केस कबूल करवाने का दबाव बनाया। इसी मामले में पकड़े गए युवक अमित सैनी ने थाने से लौटने के बाद जहर खाकर आत्महत्या कर ली।
पीड़ित नाबालिग ने बताया कि उसे पुलिस ने करीब तीन घंटे लॉकअप में रखा, फिर अमित को भी उसी लॉकअप में लाकर बंद कर दिया गया। दोनों को बारी-बारी से दूसरे कमरे में ले जाकर पीटा गया और चोरी के 16 मामलों की जिम्मेदारी लेने का दबाव बनाया गया। जब उसने अपनी उम्र 17 साल बताई, तो एक पुलिसकर्मी ने कहा, इसकी उम्र 19 साल लिख दो।
8 जुलाई को दोनों की जमानत पर रिहाई हुई, लेकिन अमित को उसका मोबाइल, पर्स और बाइक नहीं लौटाई गई। पुलिस ने उसे 9 जुलाई को फिर थाने बुलाया। उसी दिन अमित ने घर पर जहर खाकर अपनी जान दे दी।अमित की दादी ने बताया कि थाने से फोन आया था कि अमित को छुड़ाना है या नहीं। वकील ने जमानत कराई, लेकिन अमित घर आकर रोने लगा कि उसका फोन, पर्स और बाइक पुलिस ने छीन लिए और कुछ पैसे भी वसूले। अगले दिन उसने खुदकुशी कर ली।
किशोर न्याय अधिनियम का उल्लंघन
नाबालिग का कहना है कि उसके पास आधार कार्ड है और उसकी उम्र 17 साल 4 महीने है। इसके बावजूद उसे थाने के लॉकअप में रखा गया और प्रताड़ित किया गया, जो कि किशोर न्याय (बच्चों की देखभाल और संरक्षण) अधिनियम 2015 का स्पष्ट उल्लंघन है।
जयपुर हाईकोर्ट के एडवोकेट मनु भार्गव ने बताया कि किसी भी नाबालिग को गिरफ्तार करने के बाद किशोर न्याय बोर्ड में पेश करना अनिवार्य है, न कि एसडीएम कोर्ट में। थाने में रखकर टॉर्चर करना कानूनन अपराध है।
पुलिस ने कहा, नाबालिग को लॉकअप में रखने का कोई नियम नहीं है। अगर ऐसा हुआ है तो सीसीटीवी फुटेज की जांच करवाई जाएगी और दोषी पाए जाने पर कार्रवाई की जाएगी। अलवर किशोर न्याय बोर्ड की प्रिंसिपल मजिस्ट्रेट स्वाति पारीक ने कहा कि यदि कोई नाबालिग इस प्रकार की घटना का शिकार हुआ है, तो वह बोर्ड या बाल अधिकारिता विभाग में लिखित शिकायत दे सकता है। हम जांच करेंगे और जरूरत पड़ी तो सेशन कोर्ट में न्याय की अपील भी की जा सकती है।


