बड़वानी: मध्यप्रदेश में एक बुजुर्ग दो बेटे होने के बावजूद दर-दर की ठोकरें खाने को मजबूर है। बेटों ने उन्हें घर से निकाल दिया। दोनों बेटों ने बुजुर्ग पर कितना जुर्म ढहाया होगा, तब जाकर वह पुलिस के पास पहुंची है। बुजुर्ग चाहती है कि उसे सिर्फ सिर छुपाने के लिए एक छत मिल जाए और दो वक्त के खाने की जुगाड़ हो जाए।
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बुजुर्ग ने पुलिस को बताया कि, वह अपने पैतृक मकान में रहती थी। उसके दोनों बेटों ने 8 साल पहले उसे घर से अलग कर दिया। वह अपने ही घर में बने टॉयलेट का इस्तेमाल नहीं कर पाती थी। उसे इसके लिए बाहर जाना पड़ता था। बुजुर्ग दो वक्त की रोटी के लिए दूसरों के घरों में बर्तन धोती है। पेंशन में हर महीने मिलने वाले 600 रुपये से अपना गुजारा करती है।
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करीं दो महीने पहले बुजुर्ग के बेटों ने उनका घर तोड़ दिया और किराए के मकान में भेज दिया। बेटों ने कहा था कि वह मकान का किराया और दो समय का खाना दे देंगे लेकिन एक महीने बाद ये देना बंद कर दिया। उस समय बुजुर्ग पुलिस के पास पहुंची, तब पुलिस ने दोनों बेटों को समझाया और हर महीने कुछ रुपये अपनी मां को देने की बात कही। हालांकि, पुलिस के समझाने के बाद भी बेटों ने मां के लिए कोई व्यवस्था नहीं की।
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अब बुजुर्ग फिर थाने पहुंची तो पुलिस ने दोनों बेटों को बुलाया लेकिन वह नहीं आए। दोनों घर पर भी नहीं मिले। बुजुर्ग के साथ पोता आया था, उसका कहना था कि पिता और चाचा दादी को साथ नहीं रखना चाहते हैं। बुजुर्ग मां का बस इतना कहना है कि उनके सिर छिपाने के लिए एक छत और दो समय का खाना मिल जाए। इसके अलावा उसे कुछ नहीं चाहिए।