राजवाड़ा-2-रेसीडेंसी: अपने और परायों की घेराबंदी के बीच किला लड़ाते कमलनाथ

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अरविंद तिवारी

बात यहां से शुरू करते हैं…

दाद देना पड़ेगी कांग्रेस के दिग्गज और इंदिरा गांधी के तीसरे पुत्र माने जाने वाले कमलनाथ को। अपने परम्परागत निर्वाचन क्षेत्र छिंदवाड़ा में कमलनाथ इस बार वजूद की लड़ाई लड़ रहे हैं। बेटे नकुलनाथ को एक बार फिर संसद में पहुंचाने के लिए उन्होंने कोई कसर बाकी नहीं रखी। 70 पार हो चुके कमलनाथ को इस बार दो मोर्चों पर लडऩा पड़ रहा है। भाजपा ने तो उन्हें निपटाने में कोई कसर बाकी नहीं रखी है, कांग्रेस छोड़ भाजपा में गए नेता भी अपने नंबर बढ़ाने के लिए मोर्चा खोलकर बैठे हैं। इस सबके बीच कमलनाथ वोटर का भरोसा जीतने में लगे हैं। उनको पूरा भरोसा है कि तमाम हथकंडों के बीच वोट तो नकुलनाथ को ही मिलेंगे। मैदान का माहौल देखा तो ऐसा लगता है कि चुनाव नकुलनाथ नहीं कमलनाथ ही लड़ रहे हैं।

दिल्ली में मजबूती का फायदा मध्यप्रदेश में ले रहे हैं मुख्यमंत्री

दिल्ली में मजबूत होने का मुख्यमंत्री मोहन यादव को मध्यप्रदेश में पूरा फायदा मिल रहा है। भाजपा के मध्यप्रदेश के दिग्गज भी अब यह मानने लगे हैं कि मुख्यमंत्री दिल्ली में बहुत मजबूत हैं। पिछले दिनों मध्यप्रदेश में चुनावी सभाएं लेते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जिस अंदाज में मुख्यमंत्री की तारीफ की उसे कोई अनदेखा नहीं कर पा रहा है। भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जे.पी. नड्डा और मुख्यमंत्री के संबंध कितने प्रगाढ़ हैं, इसका अहसास तो मुख्यमंत्री पद पर डॉ. यादव की ताजपोशी के साथ ही हो गया था। विद्यार्थी परिषद की राजनीति में यादव, नड्डा के साथी रहे हैं। अब बचे गृहमंत्री अमित शाह तो पिछले तीन महीनों में मुख्यमंत्री ने उन्हें साधने में कोई कसर बाकी नहीं रखी।

बड़ी चर्चा है कैबिनेट में एक वरिष्ठ मंत्री के तीखे तेवर की

मध्यप्रदेश में दिग्विजय सिंह और शिवराज सिंह चौहान के मुख्यमंत्री रहते हुए कैबिनेट की बैठकों में मंत्रियों के मुखर रहने की बात तो आम थी। दोनों नेता एक हद तक बोलने का मौका देते थे, लेकिन जब पानी सिर के ऊपर निकलने लगता तो फिर टोक देते थे। अभी हम बात कर रहे हैं, एक ताजा वाकिये की। सुनने मेें आ रहा है कि सामान्यत: बहुत सलीके से अपनी बात रखने वाले एक वरिष्ठ मंत्री आचार संहिता लागू होने के पहले हुई कैबिनेट की बैठक में एक मुद्दे पर अपने तीखे तेवर दिखाने से पीछे नहीं हटे। अपने विभाग से संबंधित एक मुद्दे पर नौकरशाही के रवैये से नाराज मंत्री जिस अंदाज में कैबिनेट में मुखर थे, उससे मुख्यमंत्री भी चौंक पड़े।

लालवानी की बंद मुट्ठी और कार्यकर्ताओं की बेचैनी

चुनाव के दौर में यदि कार्यकर्ता सत्तापक्ष के उम्मीदवार की जेब सिली होने की बात कहे तो चौंकना स्वाभाविक है। लोकसभा चुनाव में अपनी जीत तय मानकर चल रहे सांसद शंकर लालवानी ने जिस तरह अपनी मुट्ठी बंद कर रखी है, उससे कार्यकर्ताओं में बड़ी बेचैनी है। खुसर-फुसर इस बात को लेकर हो रही है कि सांसद जी जेब में हाथ ही नहीं डाल रहे हैं। ‘संसाधन’ की बात करो तो जावरा कंपाउंड की ओर इशारा करते हुए कहते हैं कि सबकुछ वहीं से हो रहा है। कार्यकर्ताओं की ओर से कोई बात आती है तो कुछ बेहद सक्रिय नजदीकी लोगों के माध्यम से यह खबर करवा दी जाती है कि अभी तो काम करो, बाद में सब देख लेंगे।

इधर विधानसभा में बंपर जीत, उधर पिंगले को मिली बड़ी जिम्मेदारी

काम का मूल्यांकन करने और उसके आधार पर जिम्मेदारी सौंपने के मामले में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का कोई सानी नहीं है। पिछले विधानसभा चुनाव में राऊ विधानसभा क्षेत्र में भाजपा की जीत को संघ ने प्रतिष्ठा का प्रश्न बना लिया था। तब के विभाग संपर्क प्रमुख विनय पिंगले को यहां का प्रभारी बनाते हुए संघ ने पर्दे के पीछे सारे सूत्र अपने हाथ में ले लिए थे। यह संघ के कार्यकर्ताओं की रणनीति का ही परिणाम था कि भाजपा उम्मीदवार को बड़ी जीत मिली। निश्चित तौर पर इस जीत से आप प्रांत में सह संपर्क प्रमुख की भूमिका निभा रहे पिंगले का कद बढ़ा। इस बार के लोकसभा चुनाव में संघ ने उन्हें पूरे संसदीय क्षेत्र का प्रभार सौंपा है। रूपेश पाल और नंदकिशोर नागर उनके साथ सहप्रभारी की भूमिका में हैं।

इंदौर की गौशाला और ग्वालियर के गौशाला स्पेशलिस्ट बाबा

कागजों पर भले ही कोई लिखा-पढ़ी नहीं हुई हो, लेकिन इंदौर नगर निगम ने यशवंत सागर के नजदीक स्थित अपनी गौशाला, गौशाला के एक्सपर्ट माने जाने वाले ग्वालियर के एक बाबाजी को सौंप दी है। बाबा ने अपने 10-12 चेले चपाटियों के साथ यहां डेरा डाल दिया है और इन दिनों नगर निगम के अफसर को निर्देश देकर गौशाला के कायाकल्प में जुटे हैं। निगम की कोशिश इस गौशाला को बाबा की ग्वालियर स्थित आदर्श गौशाला के स्वरूप में लाने की है। चूंकि मामला अभी कागजों पर आया ही नहीं है, इसलिए यह बात भी उठने लगी है कि आखिर करीब 200 करोड़ की यह संपत्ति इन वजनदार बाबा के जिम्मे किस आधार पर की गई।

कांग्रेस, अक्षय बम और सौदेबाजी की इन्तहा

लोकसभा चुनाव के नतीजे का अंदाज कम से कम इंदौर में तो कांग्रेस के कार्यकर्ताओं को है ही। उम्मीदवार अक्षय कांति बम का फाइनेंशियल स्टेटस भी उनसे छुपा हुआ नहीं है। मौके का फायदा हर व्यक्ति उठाना चाहता है और यही कारण है कि अपनी हैसियत को समझे बगैर कई नेता उनके समर्थक कार्यकर्ता सौदेबाजी में लग गए हैं। रोज सुबह से शाम तक हर व्यक्ति अपने-अपने तरीके से उन्हें जंचाने में कोई कसर बाकी नहीं रख रहा है और सबका लक्ष्य एक ही है कि अक्षय का फायदा हो या न हो, यह चुनाव उनके लिए फायदे का सौदा बन जाए।

  • चलते-चलते

डीजी सुधीर सक्सेना ट्रांसफर पोस्टिंग के मामले में ज्यादा दखल देना पसंद नहीं करते हैं, लेकिन अच्छे अफसर के साथ अन्याय हो तो चुप भी नहीं बैठते हैं। साफ-सुथरी और सख्त अफसर की छवि वाले अनुराग को इंदौर रेंज का आईजी बनवाने के बाद डीजी ने झाबुआ में बहुत अच्छा काम करने के बावजूद कम समय में हटा दिए गए युवा आईपीएस अफसर अगम जैन को छतरपुर का एसपी बनवाने में भी अहम भूमिका निभाई।

लोकसभा चुनाव सामने है। ऐसा लग रहा था कि इस बार 14 अप्रैल तो महू में बाबा साहेब की जन्मस्थली पर नेताओं का तगड़ा मजमा लगेगा। केंद्र और राज्य के नेता बाबा साहेब को याद करने महू आएंगे, लेकिन ऐसा हुआ नहीं, न तो कोई केंद्रीय मंत्री, न ही मुख्यमंत्री और यहां तक कि प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष महू पहुंचे। महू के प्रति नेताओं की यह अरुचि कहीं दरकते दलित वोट बैंक के कारण तो नहीं।

  • पुछल्ला

पूर्व मुख्य सचिव इकबालसिंह बैंस के खासमखास रहे अफसर इन दिनों बड़े परेशान हैं। मुख्य सचिव वीरा राणा को तमाम पूर्वाग्रह और दुराग्रह से परे रहकर काम कर रही हैं, लेकिन आईएएस अफसरों की जो लॉबी इन दिनों पॉवरफुल है वह बैंस के नजदीकी रहे अफसरों को निपटाने में कोई कसर बाकी नहीं रख रहे हैं।

  • बात मीडिया की

  • दो महीने तक अलग-अलग स्तर की कवायद के बाद अब दैनिक भास्कर प्रबंधन अपने संपादकों के परफार्मेंस की भी समीक्षा कर रहा है। इसी समीक्षा के आधार पर कई संपादकों का भविष्य तय होगा। इशारा साफ है कि जिम्मेदारी और जवाबदेही से पल्ला झाडऩे वाले संपादक भी निशाने पर आ सकते हैं।
  • नई-नई तकनीकों को अपनाने के बावजूद दैनिक भास्कर का प्रबंधन अखबार की प्रोडक्शन क्वालिटी से संतुष्ट नहीं है। पिछले दिनों अखबार के मालिकों में से एक पवन अग्रवाल इस मुद्दे पर प्रोडक्शन से जुड़े वरिष्ठ लोगों को तलब कर अपनी नाराजगी जाहिर कर चुके हैं।
  • लिकर किंग सूरज रजक जल्दी ही मीडिया इंडस्ट्री में कदम रखने वाले हैं। उनका यह प्रोजेक्ट प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया दोनों में रहेगा।
  • विश्वनाथ सिंह दैनिक भास्कर के इंदौर संस्करण में सिटी फ्रंट पेज प्रभारी के साथ-साथ सिटी चीफ की भूमिका भी निभा रहे हैं।
  • भास्कर डिजिटल में बड़ा बदलाव हुआ है। मध्यप्रदेश में बड़ी भूमिका निभा रहे वरिष्ठ पत्रकार मोहन बागवान अब लखनऊ में बड़ी भूमिका में रहेंगे।
  • राजस्थान से मध्यप्रदेश लाए जा रहे किरण राजपुरोहित अब भास्कर डिजिटल इंदौर में मोर्चा संभालेंगे।
  • दबंग दुनिया में संपादक की भूमिका में आने के बाद मनीष यादव अखबार को शहर से जोड़ने में कोई कसर बाकी नहीं रख रहे हैं।

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