राजवाड़ा-2-रेसीडेंसी: उमंग के बगावती तेवर और नतमस्तक दिल्ली दरबार

0
797

अरविंद तिवारी

बात यहां से शुरू करते हैं…

नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी के बीच नई पारी की शुरुआत में तो बहुत अच्छा तालमेल था, लेकिन महीने-दो महीने बाद ही बात बिगडऩे लगी। बिगड़ी भी थोड़ी बहुत नहीं, इतनी ज्यादा कि दोनों के रास्ते अलग-अलग हो गए। लोकसभा चुनाव के लिए उम्मीदवारों के चयन में जब उमंग को लगा कि उन्हें गंभीरता से नहीं लिया जा रहा है, तो उन्होंने अलग ही रंग दिखाया और दिल्ली दरबार को चेताते हुए कह दिया कि यदि सबकुछ पटवारी के मुताबिक ही करना है तो फिर मैं अपने समर्थक डेढ़ दर्जन विधायकों के साथ पार्टी ही छोड़ देता हूं। उमंग की इस धमकी का असर कांग्रेस की अंतिम सूची में देखा जा सकता है।

मोहन यादव के मूवमेंट में दिखने लगी है शिवराज की झलक

जिस अंदाज में डॉ. मोहन यादव का मूवमेंट हो रहा है, लोगों को उनमें पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की झलक दिखने लगी है। जितना एक्टिव और मूवमेंट में शिवराज रहते थे, फिलहाल डॉ. यादव उसके आसपास तो आ गए हैं। मंच पर जो अंदाज शिवराज का रहता था, लगभग वैसा ही उनके उत्तराधिकारी का भी है। अफसरों को लेकर शिवराज जैसे तीखे तेवर डॉ. यादव भी दिखाने लगे हैं। पार्टी के कार्यकर्ताओं के बीच नए मुख्यमंत्री पुरानों की तुलना में ज्यादा सक्रियता दिखा रहे हैं। हां, बहनों के बीच जरूर अभी भी शिवराज की लोकप्रियता नए सरकार से ज्यादा है। सरकारी कामकाज की बात करें तो वर्तमान और पूर्व से ज्यादा कमलनाथ की पकड़ रही है।

कमलनाथ के गढ़ में कैलाश विजयवर्गीय की सेंधमारी

विरोधी दल के बड़े से बड़े नेता की हवा निकालने में कैलाश विजयवर्गीय की कोई जोड़ नहीं है। इन दिनों कमलनाथ उनके टारगेट पर हैं और महाकौशल के प्रभारी के नाते विजयवर्गीय जिस तरह से छिंदवाड़ा को टारगेट किए हुए हैं, उसने नाथ खेमे की परेशानी बढ़ा रखी है। कार्यकर्ताओं के बीच वे जिस अंदाज में कमलनाथ पर बरसते हैं और नकुलनाथ को निशाने पर लेते हैं, उसकी छिंदवाड़ा से लेकर दिल्ली तक चर्चा है। नाथ के कई कट्टर समर्थकों को विजयवर्गीय भाजपा में ला चुके हैं और जो नहीं आए हैं, उन्हें नाथ की नजरों में तो विलेन ही बना दिया है। सालों पहले विजयवर्गीय इसी अंदाज में ज्योतिरादित्य सिंधिया पर बरसते थे।

आखिर काम आ गया अरुण यादव का मास्टर स्ट्रोक

ज्योतिरादित्य सिंधिया के खिलाफ गुना से चुनाव लडऩे की बात कहकर अरुण यादव चर्चा में तो आ ही गए थे। विरोधियों ने यह मौका उनके हाथ नहीं लगने दिया और पूरी ताकत इस बात में लगा दी कि वे एक बार फिर खंडवा से चुनाव लड़ें। अरुण को नतीजे का अहसास था। उन्होंने पूरी ताकत इस बात में लगा दी कि किसी भी हालत में पार्टी उन्हें खंडवा से टिकट न दे। दिल्ली दरबार से कहा कि कमलनाथ छिंदवाड़ा से बाहर निकल नहीं पा रहे हैं, दिग्विजय सिंह राजगढ़ में उलझे हैं, कांतिलाल भूरिया झाबुआ से चुनाव लड़ रहे हैं, सुरेश पचोरी पार्टी छोड़कर चले गए। ऐसे में पूरे प्रदेश में घूमने वाले तो हम दो-चार नेता ही हैं। ऊपर वालों को बात जच गई और अरुण का मकसद भी पूरा हो गया। इसी को कहते हैं मास्टर स्ट्रोक।

अभी भी बरकरार है प्रमोद झा का जलवा

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने भले ही एक जमाने में इंदौर में संघ के विभाग प्रचारक रहे प्रमोद झा से दूरी बना ली हो, लेकिन झा का जलवा अभी भी बरकरार है। पिछले दिनों उनके द्वारा आयोजित फाग उत्सव में जिस तरह से भाजपा और संघ से जुड़े दिग्गज पहुंचे, उससे यह तो साफ हो गया कि संबंध निभाने में झा का कोई सानी नहीं है। इस कार्यक्रम में बाबा नीम करोली के पौत्र भी उन्हें आशीर्वाद देने पहुंचे। खासियत यह रही है कि जहां संघ को युवाओं के बीच नेटवर्क मजबूत करने में खासी मशक्कत करना पड़ रही है, वहीं इस कार्यक्रम में सारे सूत्र युवाओं के हाथों में थे और उनकी उपस्थिति भी अच्छी खासी रही।

मुख्य सचिव की टेढ़ी नजर और परेशान मनीष रस्तोगी

मुख्यमंत्री के प्रमुख सचिव राघवेंद्र सिंह की सदाश्यता के चलते भले ही मुख्यमंत्री सचिवालय से आधी रात को बेदखल किए गए मनीष रस्तोगी मंत्रालय में अहम भूमिका में आ गए हो लेकिन मुख्य सचिव वीर राणा की वक्र दृष्टि ने उन्हें परेशान कर रखा है। अपने सहयोगियों और अन्य अफसरों से जिस तरह का बर्ताव रस्तोगी करते हैं उसके बाद अब मुख्य सचिव भी उनसे इसी अंदाज में पेश आने लगी हैं। चौंकाने वाली बात तो यह है कि मुख्य सचिव रस्तोगी से मिलना भी पसंद नहीं कर रही हैं और उनकी नाराजगी रस्तोगी द्वारा आगे बढ़ाई जाने वाली फाइलों पर भी दिखने लगी है।

  • चलते-चलते

पुलिस के बड़े पदों पर जैसे ही पोस्टिंग की बात आती है, उज्जैन के एक शख्स का नाम सबकी जुबां पर आ जाता है। एक नहीं कई तबादला सूची में इनकी दखल का असर देखने को मिल चुका है और इसी के बाद इनसे मिलने के इच्छुक अफसरों की संख्या बढ़ती जा रही है। यह शख्स संघ परिवार से नजदीक का रिश्ता रखने वाले उज्जैन के ही एक दिग्गज के परिवार से है।

  • पुछल्ला

इंदौर नगर निगम के कमिश्नर शिवम वर्मा और भोपाल के निगम आयुक्त हरेंद्र नारायण की मैदानी सक्रियता इन दोनों प्रशासनिक हलकों में चर्चा का विषय है। दोनों अफसरों का अपने महापौर से अच्छा समन्वय और मातहत अमले से भी अच्छा तालमेल है। सरल और सौम्य इन दोनों अफसरों को प्रशासन और पुलिस की भी दोनों को पूरी मदद मिल रही है।

  • बात मीडिया की

वरिष्ठ पत्रकार प्रीति मल्होत्रा ने सिटी भास्कर के नेशनल हेड पद से त्यागपत्र दे दिया है। वे पहले इंदौर में भी सिटी भास्कर की टीम को लीड कर चुकी हैं।

दैनिक भास्कर इंदौर के संपादक रहे मुकेश माथुर, जो वर्तमान में राजस्थान के स्टेट हेड हैं, को अब मैनेजमेंट ने बड़ी जिम्मेदारी दी है। वे अब दैनिक भास्कर के राजस्थान, मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ के स्टेट हेड (इमर्जिंग मार्केट) की भूमिका में रहेंगे।

वरिष्ठ पत्रकार पंकज मुकाती ने द सूत्र को अलविदा कह दिया है। उनकी यहां की पारी बहुत छोटी रही। इन दिनों वे एक-दो न्यूज चैनल और अखबारों के लिए सलाहकार की भूमिका में हैं।

लंबे समय से फ्री प्रेस में सिटी चीफ की भूमिका निभा रहे वरिष्ठ पत्रकार अतुल गौतम को पदोन्नति देते हुए प्रबंधन ने उन्हें मालवा-निमाड़ की अतिरिक्त जिम्मेदारी भी सौंपी है।

कमोडिटी रिपोर्टिंग में महारत रखने वाले वरिष्ठ पत्रकार बहादुर सिंह गेहलोत अब टीम दैनिक भास्कर का हिस्सा नहीं रहे हैं। वे सालों तक नईदुनिया में भी व्यापार पेज का दायित्व संभाल चुके हैं।

सीनियर रिपोर्टर लवीन ओव्हाल अब दैनिक भास्कर में कमोडिटी और कार्पोरेट सेक्टर की रिपोर्टिंग करेंगे।

टीवी पत्रकारिता में अलग पहचान रखने वाले पुनित विजयवर्गीय अब विस्तार न्यूज के इंदौर ब्यूरो प्रमुख हो गए हैं।

Leave a reply

Please enter your comment!
Please enter your name here