महू में प्रशिक्षण के लिए बिपिन रावत ने एक महीना किया था आराम, गोली लगने के बाद भी नहीं मानी हार

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महू, देश के पहले चीफ ऑफ़ डिफेंस स्टाफ जनरल बिपिन रावत अब इस दुनिया में नहीं रहे। बुधवार को तमिलनाडु के कुन्नूर में हुए हेलिकॉप्टर हादसे में जनरल बिपिन रावत, उनकी पत्नी मधुलिका रावत सहित 13 लोगों की मौत हो गई है। हेलिकॉप्टर में उनके साथ सेना के ओर भी अफसर मौजूद थे। CDS रावत 1978 से सेना में अपनी सेवाएं दे रहे हैं। वह सेना में कई प्रमुख पदों पर रह चुके हैं। इस दौरान उन्हें कई विपरीत परिस्थितियों का सामना करना पड़ा है लेकिन उन्होंने कभी हार नहीं मानी।

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जब लगी थी पाकिस्तानी गोली

1993 में रावत सेना में यूनिट 5/11 गोरखा राइफल्स के मेजर थे। उस दौरान 17 मई को वह उरी में गश्त पर थे, तब पाकिस्तानन की ओर से गोलीबारी हो रही थी। इसी गोलीबारी की जद में वह आ गए थे। बिपिन रावत के पैर के टखने पर एक गोली लगी थी और दाहिने हाथ पर छर्रे का एक टुकड़ा लगा था। हालांकि उन्होंने कैनवस एंकलेट पहन रखा था, जिसकी वजह से गोली के तेज रफ्तार को तो झेल लिया था, लेकिन फिर भी उनका टखना चकनाचूर हो गया था।

श्रीनगर के 92 बेस अस्पताल के डॉक्टर्स ने कौशल का परिचय देते हुए उनके हाथ ओर टखने को दुरुस्त कर दिया था। गोली लगने के बाद लोगों ने उनसे कहा था कि सेना में उनका करियर ख़त्म हो चुका है। एक युवा अधिकारी के रूप में उन्हें इस बात की टेंशन होती थी कि कहीं उन्हें महू (मध्य प्रदेश) में अपने सीनियर कमान कोर्स में शामिल होने से वंचित न रहना पड़े लेकिन उन्होंने हिम्मत नहीं हारी और एक महीने बीमारी से छुट्टी ली।

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धीरे-धीरे उन्होंने बैसाखी के सहारे चलना शुरू कर दिया।इसके बाद उन्हें रेजिमेंटल सेंटर लखनऊ में वापस तैनात किया गया। उरी में यूनिट के कमांडिंग ऑफिसर ने कहा था कि मिलिट्री सेक्रेटरी ब्रांच की सहमति हो तो वे बिपिन रावत को वापस यूनिट में रखने को तैयार हैं। गोली लगने के आबाद भी उन्होंने अपना करियर ख़त्म नहीं होने दिया।

 

 

 

 

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