फेसबुक,व्हाट्सएप, ट्विटर और इंस्टाग्राम को हाईकोर्ट का नोटिस, केंद्र सरकार से भी जवाब मांगा

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भोपाल: मध्यप्रदेश हाई कोर्ट इंदौर खण्डपीठ में चीफ जस्टिस मोहम्मद रफ़ीक़ के कोर्ट में मातृ फाउंडेशन द्वारा केंद्र सरकार, फेसबुक, इंस्टाग्राम, व्हाट्सएप्प और ट्विटर के खिलाफ दायर जनहित याचिका की सुनवाई हुई। मातृ फाउंडेशन की तरफ से एडवोकेट अमेय बजाज ने अपने तर्क रखते हुए कहा कि,किस तरह निम्नलिखित मुद्दों पर इन सोशल मीडिया कंपनियों द्वारा कानून का उल्लंघन किया जा रहा है –

1. ऑनलाइन जुआं

2. आर्थिक धोकाधड़ी

3. प्राइवेसी का भंग

4. साम्प्रदायिक हिंसा फैलाना

5. बच्चों व महिलाओं के नग्नता व अश्लीलता भरे फ़ोटो व वीडियो

6. ऑनलाइन वैश्यावृत्ति

7. डेटा की चोरी

8. कॉपीराइट व ट्रेडमार्क का उल्लंघन

9. सरकार, सुरक्षा बल, न्यायपालिका व देश की धरोहरों का मज़ाक बनाना

10. धर्म , सम्प्रदाय व देवी-देवताओं के अभद्र चित्र

इन सभी मुद्दों पर उपरोक्त सभी कंपनियों द्वारा कानून का उल्लंघन किया जा रहा है व 18 साल से कम उम्र के बच्चे भी आसानी से इन सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर उक्त गैरकानूनी विषयों का हिस्सा बनते जा रहे हैं ।

मातृ फाउंडेशन द्वारा केन्द्र सरकार को इन मुद्दों पर rti के माध्यम से अवगत कराया गया था। परंतु केंद्र सरकार ने इस मुद्दे पर अपना क्षेत्राधिकार न होने की बात कही। केंद्र सरकार के पास कंपनियों की जानकारी भी नही है। सोशल मीडिया कंपनियों की तरफ से सीनियर एडवोकेट कपिल सिब्बल और मुकुल रोहतगी द्वारा विरोध दर्ज करते हुए कहा की यह मुद्दा जनहित का नही है।

चीफ जस्टिस मोहम्मद रफ़ीक़ द्वारा दलीलों को नकारते हुए कहा गया कि, “यह मुद्दा जनहित का है एवं याचिकाकर्ता द्वारा बताए गए अपराध समाज एवं देश को नुकसान पहुँचा रहे हैं। केंद्र सरकार व सोशल मीडिया कंपनीज को नोटिस देते हए कोर्ट ने अगली सुनवाई की तारीख 12 जुलाई 2021 तय करी है।

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