ग्वालियर कोर्ट ने दुष्कर्म पीड़िता के मामले में एक अहम फैसला सुनाया है।कोर्ट ने नाबालिग को गर्भपात की अनुमति प्रदान करदी है। हालांकि यह अनुमति कोर्ट ने मेडिकल बोर्ड की रिपोर्ट के आधार पर दी है। नाबालिग का गर्भ 20 सप्ताह तीन दिन का है। यह अवधि गर्भपात की श्रेणी में आती है।
दरअसल न्यायालय में नाबालिग के पिता की ओर से याचिका दायर की गई थी जिसमे तर्क दिया गया था कि उनकी बेटी 15 साल की है।नाबालिग के गायब होने पर परिजनों द्वारा पुलिस थाना कोतवाली गुना में रिपोर्ट दर्ज कराई गई थी। जब पुलिस ने नाबालिग को ढूंढा औऱ उसका मेडिकल करवाया तो पता चला कि वह गर्भवती है। नाबालिग की उम्र को देखते हुए उसकी सहमति पर उसके परिजनों ने कोर्ट में याचिका लगाई थी कि लडक़ी की उम्र अभी कम है और बच्चे को जन्म देने से उसकी जान को खतरा है।नाबालिग के पिता की याचिका पर कोर्ट ने मेडिकल बोर्ड का गठन कर जांच के बाद रिपोर्ट देने को कहा था। जिसमे मेडिकल बोर्ड ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि पीड़ित नाबालिग व अपरिपक्व है। जिसे 20 सप्ताह तीन दिन का गर्भ है। एमटीपी एक्ट 2021 के अनुसार 24 हफ्ते तक का गर्भ गर्भपात की सीमा में आता है। जिस पर कोर्ट ने कहा कि बालिका का प्रसव करना उड़की जान के लिए गंभीर हो सकता है इसलिए गर्भपात किया जाना ही उचित होगा। जिसे विशेषज्ञों की उपस्थिति में किया जाना उचित रहेगा।जिसके बाद कोर्ट ने विशेष चिकित्सको की मौजूदगी में नाबालिग को गर्भपात कराने की अनुमति दी है।