मुरैना: मुरैना से मध्यप्रदेश पुलिस का अमानवीय चेहरा सामने आया हैं। यहां की पुलिस द्वारा एक युवती के अपहरण और दुष्कर्म के मामले में लापरवाही बरतने का मामला सामने आया है। इतना ही नही जब पीड़िता के परिजन शिकायत दर्ज करने पहुंचे, तो उनसे 10 हज़ार की रिश्वत भी ली। इतना ही नहीं, अपहरण और दुष्कर्म का केस दर्ज करने के बजाए गुमशुदगी दर्ज कर ली। मामले का खुलासा तब हुआ, जब युवती के परिजन महिला सेल पहुंचे।महिला सेल ने कार्रवाई का आश्वासन दिया है।
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मामला दरअसल, मुरैना के महुआ गांव का है। यहां एसपी ऑफिस की महिला सेल के पास पीड़िता और उसके परिजन पहुंचे थे। महिला सेल डीएसपी प्रियंका मिश्रा को पीड़ित युवती ने बताया कि 18 जनवरी को पड़ोस में रहने वाला मोनू उर्फ मनोज पुत्र रमेश शर्मा, अपने चाचा हरिओम शर्मा के साथ मिलकर अपहरण कर ले गया। पीडि़ता के अनुसार सरसों के खेत में ले जाकर मोनू ने उसके भाई-भतीजे को गोली मारने की धमकी देकर दुष्कर्म किया। इस दौरान उसका चाचा हरिओम भी मौजूद था।
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पीड़िता ने बताया कि दोनो ने तीन दिन तक मुरैना में एक घर में रखा, जहां मोनू के साथ उसके चाचा हरिओम ने भी दुष्कर्म किया। पीडि़ता के भाई ने बताया कि महुआ थाना प्रभारी पीएस यादव ने केस दर्ज करने के एवज में 10 हजार रुपये की रिश्वत मांगी। हमने 5 हजार दिए तो लेने से इंकार कर दिया। बाद में 10 हजार दिए तब उन्होंने गुमशुदगी का मामला दर्ज किया।
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पीड़िता के परिवार ने इसके बाद क्षेत्रीय विधायक से गुहार लगाई।जिसके बाद विधायक ने जब थाना प्रभारी से कहा तो थानेदार उनकी बहन को ढूंढकर लाया, लेकिन मेडिकल के नाम पर कोरोना की जांच करवा दी।पीड़िता के परिजनों का कहना है कि आरोपी उन्हें डरा धमका रहे हैं।पुलिस भी आरोपियों को सरंक्षण दे रही है।परिजनों और पीड़िता ने पीड़ित युवती का मेडिकल परीक्षण कराकर दुष्कर्म की धाराओं में मामला दर्ज करने की मांग की है।