‘6 साल के पोते के सामने किया रेप’, महिला ने बयां किया बंगाल चुनाव के बाद हुई हिंसा का दर्दनाक मंजर

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कोलकाता: पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव के बाद राज्य में हयूए हिंसा की हैरान करने वाली और दिल झकझोर देने वाली कहानियाँ सामने आने लगी है। बंगाल की कई महिलाओं में सामूहिक रूप से सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है। याचिका में आरोप लगाया गया है कि चुनाव बाद हुई हिंसा में उनके साथ रेप किया गया। याचिकाकर्ताओं में एक नाबालिग युवती भी शामिल है।

महिलाओं ने अपनी याचिका दायर कर मामला सुने जाने की अपील की है। याचिका में अपील की गई है कि सर्वोच्च अदालत सीबीआई या एसआईटी जांच का आदेश दे, जिसकी निगरानी सर्वोच्च अदालत ही करे। सुप्रीम कोर्ट में तीन अलग-अलग याचिकाएं दायर की गई है। इनमें से एक याचिका 60 साल की महिला ने दायर की है।

अपनी अपील में महिला ने दर्दनाक मंजर को बयां किया है। महिला का आरोप है कि 6 साल के पोते के सामने उसका गैंगरेप किया गया और बहू को भी पीटा गया। याचिका में कहा गया कि तीन मई को जब चुनाव के नतीजे आ चुके थे, तब 100-200 लोगों की भीड़ उनके घर के पास पहुंची. जो कि तृणमूल कांग्रेस के समर्थक थे और उन्हें घर खाली करने को कहने लगे। उसी वक्त उनकी बहू को पीटा जाने लगा।

इसके बाद चार मई को रात करीब साढ़े बारह बजे, टीएमसी के पांच कार्यकर्ता आए और घर के अंदर घुस गए। याचिका में आरोप लगाया गया कि बुजुर्ग महिला को मारा गया, उसके हाथ-पैर बांध दिए गए और फिर रेप किया गया। ये सब महिला के 6 साल के पोते के सामने हुआ। महिला का दावा है कि पुलिस ने इस मामले में एफआईआर दर्द नहीं की है।

एक अन्य याचिका में बताया गया है कि 17 साल की युवती को चार लोगों ने पास के जंगल में घसीट लिया और करीब एक घंटे तक उसके साथ रेप किया। याचिकाकर्ता का दावा है कि उसके परिवार की राजनीतिक और धार्मिक विचारधारा की वजह से उसे निशाना बनाया गया। युवती ने भी अपनी याचिका में पुलिस की नाकामी का आरोप लगाया है और टीएमसी के नेताओं पर धमकाने का आरोप लगाया है।

सुप्रीम कोर्ट में दायर एक और याचिका में आरोप लगाया गया है कि पुलिस आरोपियों को पकड़ने की बजाय उनको बचाने में लगी हुई है। याचिकाकर्ताओं ने अपनी अपील में मांग की है कि सभी मामलों को एसआईटी को सौंपा जाए और मामले की पूरी सुनवाई राज्य के बाहर की जाए।

सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिकाओं को लेकर बंगाल सरकार ने सर्वोच्च अदालत में अपना जवाब दिया है। बंगाल सरकार का कहना है कि अभी ये मामले हाईकोर्ट में सुने जा रहे हैं। जो आरोप लगाए गए हैं, वह सभी राजनीति से प्रेरित हैं। पुलिस प्रशासन राष्ट्रीय महिला आयोग के साथ मिलकर काम कर रहा है। एफआईआर दर्ज की गई हैं, साथ ही हिंसा की जांच भी हो रही है। जब आचार संहिता हट गई थी, उसके बाद हालात में सुधार हुआ है। राज्य सरकार इन मामलों में एक निष्पक्ष जांच कर रही है।

 

 

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