भोपाल: भोपाल में एमडी ड्रग्स (MD Drugs) का चलन बढ़ता जा रहा है। ड्रग्स तस्करों की नजर भोपाल के स्कूल-काॅलेज के छात्रों पर है। क्राइम ब्रांच ने पिछले 10 महीनों में भोपाल में तस्करी से जुड़े कुछ लोगों को पकड़ा है। पुलिस पूछताछ में ड्रग्स सप्लायरों (Drugs supplier) ने बताया कि वे अंतरराष्ट्रीय डार्कनेट वेबसाइट से ड्रग्स खरीदकर बेचते थे।
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ड्रग्स के खरीददार अंतरराष्ट्रीय डार्कनेट वेबसाइट (International Darknet website) से कोड के माध्यम से ड्रग्स की डिमांड करते थे। यहां ऑनलाइन पेमेंट (online payment) होने के बाद खरीदार को SMS आता है। इसके बाद उसे जहां ड्रग्स का पार्सल रखा है, उसकी जानकारी दी जाती हैं। जानकारी मिलने के एक घंटे के अंदर उसे वह पार्सल उठाना होता है।
इस पूरी प्रक्रिया में कभी भी खरीदार और डीलर का आमना-सामना नहीं होता। ऐसे में पुलिस का मुख्य आरोपियों तक पहुंचना बहुत मुश्किल होता है। जब से पुलिस से भोपाल से तस्करों (Drugs smuggler) को पकड़ना शुरू क्या है, तब से तस्करों को मुंबई (mumbai) और महाराष्ट्र (maharashtra) के दूसरे शहरों में पार्सल लेने जाना पड़ता है।
अब इन तस्करों की नजर भोपाल के स्कूल-कॉलेज के छात्रों पर है। इसके लिए ये तस्कर छात्राओं से पहले दोस्ती करते हैं। फिर उन्हें पार्टियों में ले जाया जाता है और नशे की लत लगाई जाती है। नशे की लत लगने के बाद उन्हें इसमें धकेल दिया जाता है।
इस धंधे की खास बात यह है, जो इसके ग्राहक हैं, वही सप्लायर भी बन जाते हैं। भोपाल (bhopal) के पब और हुक्का लाउंज आदि में लड़कियों को भेजा जाता है। यहां इनके द्वारा पार्टियों में सप्लाई करवाई जाती है। यहीं से धीरे-धीरे कर लत लगवाई जाती है। लत लगने के बाद इनसे इन्हें मुंह मांगे रेट पर बेचते हैं।
क्राइम ब्रांच (crime branch) एएसपी गोपाल सिंह धाकड़ के अनुसार पता चला है कि यह तस्करी अंतरराष्ट्रीय डार्कनेट वेबसाइट पर ऑनलाइन चल रही है। इसमें अंतरराष्ट्रीय स्तर पर हथियारों (weapons) से लेकर सभी तरह के अवैध कारोबार होते हैं। MDMA और मेफेड्रोन को कई नामों से बेचा जाता है। लगभग हर देश में इसके कोड नेम हैं। इसे द्रव्य और सूखे दोनों रूप में लिया जाता है। इसे आसानी से पहचाना जाना मुश्किल होता है।