मध्य प्रदेश हाईकोर्ट की इंदौर बेंच ने एक महत्वपूर्ण आदेश में कहा है कि जिला मजिस्ट्रेट की हैसियत से कलेक्टर जिस भी व्यक्ति के खिलाफ राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम के तहत निरुद्ध करने का आदेश जारी करें उसमें यह स्पष्ट रूप से उल्लेखित होना चाहिए कि संबंधित व्यक्ति को आदेश पारित करने वाले व्यक्ति यानी जिला मजिस्ट्रेट के समक्ष अपना रिप्रेजेंटेशन कर सकेगा। कांग्रेस नेता यतेंद्र वर्मा को रासुका में निरुद्ध करने का जो आदेश इंदौर के जिला कलेक्टर ने पारित किया था उसमें इसका उल्लेख नहीं होने के कारण कोर्ट ने उक्त आदेश को रद्द कर दिया है। यतींद्र की ओर से वरिष्ठ अभिभाषक श्री रविंद्र सिंह छाबड़ा ने पैरवी की थी। शासन का पक्ष अतिरिक्त महाधिवक्ता श्री पुष्य मित्र भार्गव ने रखा था।
जस्टिस सुजाय पाल और जस्टिस शैलेंद्र कुमार शुक्ला की बेंच ने गुरुवार को आदेश पारित करते हुए मध्य प्रदेश सरकार से कहा कि वह यह सुनिश्चित करेगी भविष्य में जिला मजिस्ट्रेट रासुका के जो भी आदेश पारित करें उसमें यह स्पष्ट रूप से उल्लेखित हो की संबंधित व्यक्ति आदेश पारित करने वाले प्राधिकारी के समक्ष अपना रिप्रेजेंटेशन कर सकेगा।