इंटरनेशनल डांसर की गुहार, मेरी आंख बचा लीजिए, एसिड अटैक में मैंने एक आंख गंवाई, बिगड़ गया चेहरा

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इंदौर: इंदौर की रहने वाली इंटरनेशनल डांसर रुपाली (Inaternational Dancer Rupali) ने सांसद शंकर लालवानी (Shankar Lalwani) और कलेक्टर मनीष सिंह (Collector Manish Singh) से मदद की गुहार लगाई है। रुपाली पर 18 सितंबर 2018 को एसिड अटैक (acid attack) हुआ था, जिसमें उन्हें बाईं आंख गंवानी पड़ी थी और अब उन्हें दाई आंख से भी दिखना कम हो गया है। इस आंख के चार ऑपरेशन हो चुके है और दो ऑपरेशन बाकी है। इसके लिए उन्हें 75 हजार रुपये का खर्च बताया गया है। यदि ये ऑपरेशन जल्द नहीं हुआ, तो उनकी दाई आंख की भी रोंशनी चली जाएगी।

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रुपाली और उनके परिजन मदद के इंतजार में हैं। अब तक के प्रयासों के बारे में बताते हुए रुपाली ने कहा कि मैं और मेरा परिवार सांसद शंकर लालवानी (Shankar lalwani) और कलेक्टर मनीष सिंह (Collector Manish Singh) से ऑपरेशन में मदद करने के लिए गुहार लगा चुके हैं। अब तो कोरोना भी कंट्रोल में है। क्या मेरी गुहार कोई सुनेगा? क्या मैं अब एक आंख से ही सही, दुनिया देख सकूंगी? क्या जिम्मेदार मेरी आवाज सुनेंगे? कोई मुझे यह तो बताए कि आखिर मेरा कसूर क्या है?

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रूपाली बोलीं- कितनी अच्छी थी मेरी दुनिया। छोटे से परिवार में पापा-मम्मी, हम दो बहनें और छोटा भाई हैं। मैं और मेरी छोटी बहन घटना के दो साल पहले से श्री सांवरियाजी डांस ग्रुप (Sanwariaji Dance group) (रंगीला राजस्थान) से जुड़े थे। हमारे इस ग्रुप ने तमाम शहरों और राज्यों में शो किए। आठ अवॉर्ड भी जीते। इंडिया गॉट टैलेंट (India’s got talent) के सीजन-3 में विनर भी रहे। लंदन में भी प्रोग्राम किए हैं। अब मेरी जिंदगी में अंधेरा छा चुका है।

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रुपाली की चमकती जिंदगी में 18 सितंबर 2018 को अंधेरा छा गया। उस दिन जब वह अपने घर जा रही थी, तब सोनू सेन ने उनके चेहरे पर एसिड (acid) फेंक दिया था। इसमें उनकी दोनों आंखें झुलस गई थी। पहले उनका इलाज इंदौर में चला, जिसके बाद हैदराबाद में उन्होंने इलाज करवाया। बाईं आंख की रौशनी तो जा ही चुकी थी और दाई आंख से भी दिखना बंद हो गया था। इसके इलाज के लिए पहले उन्हें सिर्फ डेढ़ लाख की ही मदद मिली थी।

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रुपाली ने बताया कि एडवोकेट शन्नो शगुफ्ता खान के जरिए हाईकोर्ट (highcourt) में बात रखी। कोर्ट में ट्रैजरी अधिकारी तलब हुए, इसके बाद मेरा एक लाख का चेक कोर्ट में प्रस्तुत कर दिया गया। इसके बाद प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री राहत कोष से भी एक-एक लाख रुपये की मदद मिली। इलाज और जीवनयापन के लिए 5 लाख रुपये मिले, लेकिन जीवन में अंधकार तो फिर भी है।

 

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