इंदौर: इंदौर में शराब ठेकेदारों के बीच हुए गैंगवार (gangwar) के तीन दिन पहले से कुख्यात गुंडा सतीश भाऊ (satish bhau) शहर में सक्रिय था। इस दौरान वह बेखौफ होकर शराब कारोबारियों से मिलता और उन नौ शराब आहातों पर बेरोकटोक अपनी उपस्थिति दर्ज करवाता रहा जो उसने अपने आतंक के बल पर शराब सिंडिकेट से लिए थे। इन आहातों से सतीश 20 लाख रुपए महीने कमाता था। वारदात के पहले सतीश अपनी गैंग के लोगों से मिलता रहा। इतना ही नहीं, वह इंदौर के आसपास के क्षेत्रों में बेखौफ घूमता रहा। इसे पुलिस के खुफिया तंत्र की बड़ी नाकामी भी माना जा रहा है।
ख़ास बात तो ये है कि गुंडा सतीश भाऊ शनिवार को उज्जैन (ujjain) महाकाल मंदिर भी पहुंचा था। वहां सुरक्षाकर्मियों ने मंदिर की सुरक्षा को ठेंगा दिखाते हुए उसे एग्जिट गेट से मंदिर में प्रवेश करवाया। करीब आधे घंटे वह महाकाल मंदिर (mahakal temple) में रहा।
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सवाल यहां पुलिस की भूमिका पर भी उठ रहे है क्योकि वह बिना नंबर की काली गाड़ी में घूमता रहा लेकिन किसी भी पुलिसकर्मी से उसे रोककर पूछताछ करने की हिम्मत तक नहीं की। इसे पुलिस के खुफिया तंत्र की नाकामी कहे या पुलिस की मिलीभगत, क्योकि कुख्यात गुंडा बिना नंबर की काली गाड़ियों में शहर और आसपास के क्षेत्रों में लगातार घूमता रहा और शासन-प्रशासन को खबर तक नहीं लगी।
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इंदौर (indore) की नौ शराब दुकानों के आहाते भी यह शातिर बदमाश संचालित कर रहा था और इसकी किसी को भनक नहीं लगी। इन्हीं आहातों की आड़ में उसका इंदौर के शराब सिंडिकेट (liquor syndicate) से गठजोड़ था और इस सिंडिकेट के लिए वह लोगों को डराने धमकाने और उनके हित साधने का काम भी करता था। सतीश जिन नौ आहातों का संचालन करता है उन्हें सोमवार के घटनाक्रम के बाद इंदौर कलेक्टर मनीष सिंह ने सील करवा दिया है।