जबलपुर: अप्रैल में जब कोरोना की दूसरी लहर तांडव मचा रही थी तब कुछ सौदेबाज लोगों की जान के साथ खिलवाड़ कर नकली रेमडेसिविर इंजेक्शन बेच रहे थे। इस मामले में पुलिस प्रोडक्शन वारंट पर आरोपी सपन जैन, सुनील मिश्रा, कौशल वोरा व पुनीत शाह को गुजरात से जबलपुर लाइ है। इस दौरान पूछतछ में आरोपियों ने कई अहम् खुलासे किए है।
आरोपियों ने एसआईटी को बताया कि सूरत में नकली इंजेक्शन की फैक्ट्री चलाने वाले कौशल और पुनीत शाह 50 रूपये की लागत से तैयार एक नकली इंजेक्शन 1700 रूपये में सुनील मिश्रा को बेचते थे। सुनील ने इसे सपन जैन को 3000 रुपए में दिया था, जबकि सपन ने इसे सिटी अस्पताल के डायरेक्टर सरबजीत मोखा काे 4800 रुपए में देने का सौदा किया था।
जब कोरोना की दूसरी लहर अपने चरम पर थी और अस्पतालों में एक-एक बेड की मारामारी थी, रेमडेसिविर इंजेक्शन के नाम पर लोग कोई भी कीमत चुकाने को तैयार थे, तब अस्पताल संचालक भी अपनी जेब भरने में लगे थे। इसी का सिटी अस्पताल के संचालक सरबजीत सिंह मोखा ने फायदा उठाया।
सपन ने SIT को बताया, मोखा का साफ कहना था कि इंजेक्शन के नाम पर कुछ भी लाओ, सब चलेगा। मोखा ने मरीजों से एक इंजेक्शन के एवज में 15 से 18 हजार रूपये तक वसूल किए। हालांकि उसने बिल में इसे 4800 रूपये में ही देना दर्शाया है।
मोखा के सिटी अस्पताल में 171 मरीजों को 209 नकली इंजेक्शन लगे थे। इसमें नौ की मौत हुई थी। लेकिन SIT ने इन मरीजों से संपर्क साधा तो 30 मरीज के पास ही कोरोना इलाज से संबंधी बिल मिल पाए। अधिकतर मरीजों को उसने इलाज का कोई बिल ही नहीं दिया था। अमूमन वह डिस्चार्ज स्लिप पकड़ा देता था।