इंदौर हाई कोर्ट ने मंदसौर में 7 वर्ष की मासूम छात्रा का अपहरण कर उसके साथ दुष्कर्म करने के मामले में दोनों आरोपियों इरफान व आसिफ की फाँसी की सजा की सजा को बरकरार रखा हैं।
न्यायमूर्ति विवेक रूसिया एवं न्यायमूर्ति शैलेन्द्र शुक्ला की खंडपीठ ने अपने फैसले में लिखा कि यह वीभत्स घटना है व नाबालिग बच्चो के साथ बढ़ते अपराधों को देखते हुए आरोपियों की फाँसी बरकार रखना आवश्यक है।
प्रकरण में शासन की और से अतिरिक्त महाधिवक्ता पुष्यमित्र भार्गव व न्यायमित्र के रूप में एडवोकेट अमित दुबे ने पक्ष रखा था।
26 जून 2018 की शाम मंदसौर में 7 वर्षीय बालिका का स्कूल के पास से अपहरण कर आरोपी आसिफ और इरफान पास के जंगल में ले गए थे। जहां हैवानों ने बालिका के साथ पहले तो कुकर्म किया और फिर उसका गला चाकू से रेंत दिया।बेसुध मासूम को मृत समझकर यह दोनो वहां से फरार हो गए थे। अगले दिन दोपहर में बालिका लड़खड़ाते हुए बाहर आई थी। घटना की जानकारी मिलने के बाद पुलिस ने केस दर्ज कर दोनों आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया था। पीड़िता का लंबे समय तक इंदौर में उपचार भी चला था।
पुलिस द्वारा इस मामले में 12 जुलाई 2018 को जिला न्यायालय में चार्जशीट पेश की गई थी। 14 अगस्त 2018 को अंतिम बहस हुई थी। न्यायाधीश ने 21 अगस्त 2018 को उक्त दोनों आरोपियों को दोषी करार देते हुए फांसी की सजा सुनाई थी। हाई कोर्ट ने भी इस सजा को कन्फर्म कर दिया।