फरियादी पिता को 6 साल जेल में रहना पड़ा, आरोपियों को बना दिया गवाह और फरियादी को पत्नी और बेटी की हत्या का आरोपी

0
384

 

ग्वालियर।‌ मध्यप्रदेश हाईकोर्ट की ग्वालियर बेंच की युगलपीठ ने बुधवार को एक ऐतिहासिक फैसला सुनाया जिसमे बुधवार को 2004 के दतिया जिले के एक प्रकरण में अपनी पत्नी व बेटी की हत्या के आरोप में आजीवन कारावास की सजा काट रहे व्यक्ति को दोषमुक्त करते शासन से कहा कि व्यक्ति ने जो 6 साल की सजा काटी हैे उसके बदले उसेे 2 लाख रुपये की क्षतिपूर्ति राशि दी जाए। क्षतिपूर्ति की यह राशि केस के जांच अधिकारी डीएस नायर से वसूल की जाए और यदि वह रिटायर हो गए हैं तो पेंशन से पैसा वसूल किया जाए।

दरअसल केस पूरा उलटा दर्ज हुआ था उक्त मामलें जो फरियादी था उसे ही आरोपी बना दिया था जो आरोपी थे उन्हे प्रकरण में गवाह बना दिया गया था। मामले की पैरवी करने वाले अधिवक्ता ने बताया कि पहलवान सिंह की पत्नी बृजरानी व बेटी चांदनी की हत्या हो गई थी। उनके शव के पास बट्टू व रामभरोसे को देखा गया था। इसकी सूचना दतिया जिले की गोदन थाना पुलिस को दी गई। पुलिस ने हत्या का मामला दर्ज तो कर लिया। बाद में बट्टू व रामभरोसे ने यह कहते हुए केस की जांच कराई कि पहलवान ने अपनी पत्नी व बच्ची की हत्या की है, वह उनको फंसाना चाहते हैं। गोदन थाने के तत्कालीन जांच अधिकारी ने पहलवान के खिलाफ केस दर्ज कर लिया। जांच के बाद चालान कोर्ट में पेश कर दिया। इस मामले में बट्टू व रामभरोसे को गवाह बनाया गया। दतिया के जिला एवं सत्र न्यायालय ने 2004 में पहलवान को आजीवन कारावास की सजा सुनाई। उसके बाद हाई कोर्ट में 2004 में अपील दायर की गई। अपील दायर होने के बाद कोर्ट ने जमानत पर उसे रिहा कर दिया। उसने सजा के 6 साल जेल में काट लिए थे।इस प्रकार प्रकरण उलटा कर दिया स्थानीय अदालत ने मामले में फरियादी को ही आरोपी बना दिया।

इन आधार पर काेर्ट ने किया दाेषमुक्त -पहलवान का एफआइआर में नाम नहीं था। बाद में एफआइआर में नाम जोड़ा गया। जांच अधिकारी की गलत जांच के चलते ऐसा हुआ।बट्टू व रामभरोसे को शव के पास देखा गया था। हत्या में इनके नाम सामने आए थे। कोर्ट ने यह दिए आदेश की केस के जांच अधिकारी डीएस नायर के खिलाफ विभागीय जांच की जाए। क्षतिपूर्ति की राशि उनके वेतन या पेंशन से वसूली जाए।

Leave a reply

Please enter your comment!
Please enter your name here