मध्यप्रदेश भाजपा में अब संगठन मंत्रियों की बारी, कुछ हटाए जाएंगे, कुछ बदलेंगे

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राजबाड़ा टू रेसीडेंसी

अरविंद तिवारी

बात यहां से शुरू करते हैं

मध्यप्रदेश भाजपा में अब संगठन मंत्रियों की बारी, कुछ हटाए जाएंगे कुछ बदले जायेंगे

• भाजपा के शहर संगठन महामंत्री श्री शिव प्रकाश की भोपाल यात्रा और प्रदेश संगठन महामंत्री सुहास भगत और सह संगठन मंत्री हितानंद शर्मा के साथ लंबी बैठक के नतीजे आने वाले समय में देखने को मिल सकते हैं। बैठक में अनेक मुद्दों पर गहन विमर्श हुआ लेकिन सबसे महत्वपूर्ण विषय था संभागीय संगठन मंत्रियों के कामकाज की समीक्षा। दमोह उपचुनाव के नतीजे के बाद भाजपा प्रदेश में गहन मंथन के दौर में हैं और इसका नतीजा आने वाले समय में संभागीय संगठन मंत्रियों के कामकाज में व्यापक बदलाव के रूप में देखा जा सकता है। कुछ दायित्व मुक्त हो सकते हैं तो कुछ का कार्यक्षेत्र बदला जा सकता है।

• मंत्री विजय शाह इन दिनों खफा-खफा से हैं। वैसे भी उनकी शोहरत यह है कि जब भी उनके मिजाज बदल जाते हैं वह किसी की परवाह नहीं करते। इन्हीं बदले हुए मिजाज के कारण सालों पहले वे एक बार मंत्रिमंडल से भी बाहर हो चुके। इस बार की उनकी नाराजगी का कारण तो किसी को पता नहीं लेकिन नाराजगी कितनी ज्यादा है इसका अंदाज इसी बात से लगाया जा सकता है की वे इन दिनों मुख्यमंत्री की ऑनलाइन बैठकों में भी शामिल नहीं हो रहे हैं। यहां तक तो ठीक है लेकिन वक्त बेवक्त उन्हें यह कहने से भी परहेज नहीं होता कि मुझे यहां किसी से डर नहीं। हालांकि ऐसा उस वक्त कहते हैं जब अपने ही मस्ती में मस्त होते हैं।

• मंत्री भारत सिंह कुशवाह को लेकर जो शिकायतें संघ और संगठन तक पहुंची है उससे तो अच्छे संकेत नहीं मिल रहे हैं। कहा यह जा रहा है कि मंत्री जी भ्रष्ट अफसरों को संरक्षण दे रहे हैं और उन अफसरों से घिर गए हैं जिनकी कांग्रेस के शासन में उनके महकमे में तूती बोलती थी। कुछ शिकायतों में कहा गया है कि इन्हीं अफसरों की बदौलत बड़े खेल भी हो रहे हैं। इन शिकायतों का परीक्षण करवाया जा रहा है और सही साबित हुई तो फिर मंत्री जी की परेशानी बढ़ना तय है।

• कुछ भी कहो कमलनाथ इन दिनों बहुत फॉर्म में दिख रहे हैं। हर दूसरे दिन उनका एक ऐसा बयान सामने आ जाता है जो है चर्चा में बनाए रखता है और पूरी भाजपा उन पर पिल पड़ती है।‌ मुफ्त की पब्लिसिटी मिल रही है और इसी के चलते हुए वे इन दिनों चर्चाओं में है। 10 से 5 की पॉलिटिक्स के लिए मशहूर कमलनाथ ने इन दिनों भोपाल के बाहर आवाजाही बढ़ा दी है और जहां भी जाते हैं एक नया शगुफा छेड़ कर अपनी पार्टी के कार्यकर्ताओं में भी जोश भर आते हैं। ‌ कमलनाथ की बढ़ती सक्रियता और पार्टी के लोगों में उनकी ग्राह्यता से कांग्रेस के वे नेता जरूर बेचैन हैं जो यह मान रहे थे कि 2023 के चुनाव के सारे सूत्र उनके हाथ में ही रहना है।

• कहां जाता है ना कि संबंधों की परख संकट के समय में ही होती है। कोरोना के भयावह दौर में जो मदद इंदौर के नागरिकों की कैलाश विजयवर्गीय ने की है कुछ उसी अंदाज में सांसद विवेक तंखा जबलपुर के लोगों के मददगार बने। बड़े औद्योगिक घरानों से अपने देशव्यापी संबंधों का लाभ लेकर श्री तंखा ने जबलपुर के अस्पतालों के लिए भरपूर ऑक्सीजन का बंदोबस्त करवाया, जस्टिस तंखा मेमोरियल ट्रस्ट और रोटरी फाउंडेशन के माध्यम से चिकित्सा उपकरणों की कोई कमी नहीं आने दी और मंडला का अपना सर्व सुविधा युक्त स्कूल कोविड केयर सेंटर के लिए उपलब्ध करवा दिया। जबलपुर मेडिकल कॉलेज में वे अपने माध्यमों से 11 करोड रू खर्च करवा कर अत्याधुनिक सुविधाएं उठा रहे हैं।

• ऐसे दौर में जब पूरे देश में कोरोना की संभावित तीसरी लहर को लेकर मंथन चल रहा है और इसका सबसे ज्यादा असर बच्चों पर होने की संभावना के चलते सरकारें एहतियातन उपायों में लग गई हैं
मंत्री गोपाल भार्गव के बेटे अभिषेक भार्गव ने गढ़ाकोटा में बनाए गए कोविड-19 सेंटर में बच्चों के इलाज के लिए एक आदर्श वार्ड बनाकर पायलट प्रोजेक्ट के रूप में देशभर के लिए एक मॉडल खड़ा कर दिया है। इंदौर और भोपाल में बने बड़े कोविड केयर सेंटर को छोड़ दें तो इन दिनों मंत्री जी के गृह नगर में संचालित हो रहा केयर सेंटर पूरे प्रदेश में अपनी एक अलग पहचान बनाने में सफल रहा है‌।

• ऐसे दौर में जब प्रशासन और पुलिस के छोटे-मोटे अफसरों के परिजन भी रुतबा दिखाने में पीछे नहीं रहते हैं इसे एक अपवाद ही माना जाएगा। सुधी रंजन मोहंती, मनीष रस्तोगी और मलय श्रीवास्तव के बेटे अच्छे मित्र हैं। तीनों पिछले दिनों लॉकडाउन के दौर में जब तफरी के लिए निकले तो मास्क नहीं लगाए जाने के कारण पुलिस द्वारा धर लिए गए। मौके पर ही चालान भी बना। बड़ी बात यह है कि तीनों ने अपने पिता का रुतबा बताए बिना गलती स्वीकारी, चालान भी भरा और वादा किया कि भविष्य में ना हम ऐसी गलती करेंगे ना परिवार के किसी व्यक्ति को करने देंगे।

• अनूपपुर कलेक्टर रहते हुए कामकाज के मामले में बेहद कमजोर साबित हुए चंद्रमोहन ठाकुर मुख्यमंत्री के गृह जिले सीहोर में कैसे पदस्थापना पा गए यह प्रशासनिक हलकों में चर्चा का विषय है। हो सकता है यहां पदस्थापना के बाद उनका मिजाज बदले और मुख्यमंत्री की वक्र दृष्टि से बचने के लिए कामकाज का अंदाज भी बदल जाए। हां ठाकुर की यह खासियत जरूर है कि जिस भी पार्टी की सरकार रहती है उसके नेताओं को वे साध ही लेते हैं। हालांकि सीहोर में इसकी नौबत आना नहीं है।

चलते चलते

चंबल के संभाग आयुक्त का फैसला तो आज तक नहीं हो पाया। अब इस रेंज के आईजी श्री मनोज शर्मा अगले महीने सेवानिवृत्त होने जा रहे हैं। बहुत ही चुनौतीपूर्ण माने जाने वाली इस रेंज में अब किस अफसर को मौका मिलता है यह देखना है। हालांकि नरेंद्र सिंह तोमर और ज्योतिरादित्य सिंधिया दोनों ही चाहेंगे उनकी पसंद को यहां तवज्जो मिले।

पुछल्ला

सेवानिवृत्त हो चुके आईएएस अफसर रजनीश वैश्य, मनोज श्रीवास्तव और सेवानिवृत्ति के नजदीक चल रहे राधेश्याम जुलानिया में क्या समानता है? तीनों मध्य प्रदेश से हैं और तीनों पर ही मुख्य सचिव इकबाल सिंह बैंस की नजरें कभी इनायत नहीं रही‌। इनमें से दो वैश्य और जुलानिया तो मुख्य सचिव के बैचमेट हैं।

अब बात मीडिया की

• टीम भास्कर ने पिछले दो-तीन महीनों में जबरदस्त काम किया है और इसी का नतीजा है कि देश के अलग-अलग संस्करणों में हुई कई खबरें इन दिनों देशभर में चर्चा का विषय बनी हुई। एनडीटीवी पर रवीश कुमार ने प्राइम टाइम में भास्कर की कई खबरों को प्रमुखता से रेखांकित किया है।

• वरिष्ठ पत्रकार श्री प्रदीप मिश्रा टीम प्रजातंत्र का हिस्सा हो गए है‌। वे वहां विशेष संवाददाता के रूप में अपनी सेवाएं देंगे।

• कई लोकल और रीजनल चैनल्स में सेवाएं दे चुके तेज तर्रार युवा पत्रकार श्री अंशुल मुखिया ज़ी टीवी के साथ जुड़ गए हैं। वे अभी तक ईटीवी भारत का हिस्सा थे।

• डेस्क के सीनियर साथी नूर मोहम्मद मंसूरी और धीरेंद्र गुप्ता हैप्पी अब टीम डिजीयाना का हिस्सा हो गया है। दोनों पहले कई संस्थानों में सेवाएं दे चुके हैं।

• कुछ नए चेहरों को मौका दिए जाने के साथ ही वुमंस प्रेस क्लब की प्रबंध कारिणी का पुनर्गठन हो गया है।

• दैनिक अग्निपथ के धार ब्यूरो चीफ युवा पत्रकार धीरेंद्र सिंह तोमर कोरोना से जंग हार गए।‌ सोमवार सुबह इंदौर के एप्पल हॉस्पिटल में उन्होंने हमें अलविदा कह दिया। धीरे़द्र दैनिक भास्कर पत्रिका और नई दुनिया में भी सेवाएं दे चुके थे।

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