इंदौर। इंदौर में शराब सिंडीकेट के संरक्षक बने कुख्यात गुंडे सतीश मराठा उर्फ भाऊ का साम्राज्य महाराष्ट्र तक फैला हुआ है। सतीश की गैंग में 500 लोग हैं। इन्हीं के दम पर सतीश मकान, दुकान खाली करवाने, विवादित संपत्तियों के सौदे निपटाने, बड़े कारोबारियों से चौथ वसूलने और शराब कारोबारियों को संरक्षण देने का काम करता है। सतीश के दबदबे का अंदाज इसी बात से लगाया जा सकता है कि तीन महीने पहले जेल से छूटने के बाद उसने शराब सिंडीकेट पर शिकंजा कसकर नौ दुकानों के आहाते अपने कब्जे में ले लिए थे। एक शातिर अपराधी की ऐसी सक्रियता को इंदौर पुलिस की बड़ी नाकामी भी माना जा रहा है।
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सतीश कितना शातिर बदमाश है इसका अंदाज इसी बात से लगाया जा सकता है कि उस पर बाणगंगा, तुकोगंज, हीरानगर, पलासिया सहित विभिन्न थानों में हत्या, हत्या का प्रयास, धमकी, अड़ीबाजी के 26 केस दर्ज हैं। पिछले तीन महीने से वह शहर में बिना नंबर वाली काली कार से घूम रहा था। चूंकि उससे रंजिश रखने वालों की लंबी सूची है, इसलिए अपनी सुरक्षा को लेकर भी सतीश बहुत चौकस रहता है। उसके साथ हमेशा दो गाडिय़ां चलती है और दोनों में चार गनमैन के अलावा दो-तीन और हथियारधारी लोग साथ रहते थे। वह दो शार्प शूटर भी 24 घंटे अपने साथ रखता है। बुधवार सुबह विजय नगर पुलिस के सामने सरेंडर करने वाला गैंगस्टर सतीश भाऊ जहां भी ठहरता, हाईटेक सुरक्षा रखता। दो शूटर गाड़ी में सोते थे। दो दरवाजे पर खड़े रहते थे। जिस जगह रुकता, वहां सीसीटीवी कैमरे लगवाता था और लाइव रहता था। अपने विरोधियों से वह बहुत सतर्क रहता था तथा उसे पुलिस से भी एनकाउंटर का डर भी रहता था। यही कारण था कि जहां भी वह रहता था, वहां लगे सीसीटीवी कैमरे का एक्सेस वह हमेशा अपने नजदीकी लोगों को देकर रखता था।
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पुलिस गैंगस्टर सतीश भाऊ की गैंग के सदस्यों की जानकारी जुटा रही है। ऋतिक, रितेश, रवि चिकलिस, गब्बर चिकना, मोनू पांचाल, सत्यनारायण लूनिया सहित करीब 20 लोगों की सूची तो पुलिस ने तैयार कर ली है। इनका आपराधिक रिकार्ड भी निकाला जा रहा है। जिन लोगों से सतीश की आपराधिक रंजिश है, उनकी सूची भी पुलिस ने तैयार कर ली है। इस मामले में इंदौर पुलिस और उसकी क्राईम ब्रांच तथा खुफिया शाखा पर भी उंगली उठ रही है। बताया जा रहा है कि सतीश भाऊ जमानत पर छूटने के बाद विवादित मामलों में समझौतों के लिए खुलेआम बैठकें करता रहा, लोगों को धमकाता रहा, अड़ीबाजी करके करोड़ों रुपए उगाए और शराब के आहातों का संचालन भी करने लगा, लेकिन पुलिस को भनक तक नहीं लगी। भाऊ पर तत्कालीन डीआइजी रुचि वर्धन के कार्यकाल में सचिन धूपर की शिकायत पर अड़ीबाजी का केस दर्ज हुआ था। मामले में पुलिस उसे गिरफ्तार नहीं कर पाई, बल्कि ऊपरी दबाव से केस डायरी सीआइडी को भेज दी। टीआइ इंद्रमणि पटेल के मुताबिक थाने पर पत्र आया था इसलिए डायरी ट्रांसफर करना पड़ी।
अर्जुन ठाकुर पर गोली चलाने वाले अवैध शराब के कारोबारी चिंटू ठाकुर का भी लंबा-चौड़ा आपराधिक रिकार्ड है। चिंटू तथा उसके भाई हेमू पर शहर के अलग-अलग थानों में 23 और 32 केस दर्ज हैं। इंदौर पुलिस ने इस घटनाक्रम के बाद शराब के अवैध कारोबार में लिप्त लोगों की कुंडली भी तैयार करना शुरू कर दी है। इन लोगों की वैध और अवैध संपत्ति, बैंक खातों, इनसे जुड़े लोगों, इनकी गैंग के सदस्यों की जानकारी जुटाई जा रही है। शहर की सभी शराब दुकानों के आहातों को लेकर भी पुलिस विस्तृत जानकारी तैयार कर रही है। ठेकेदार ने ये आहाते किन्हें संचालन के लिए दिए हैं। वर्तमान स्थिति में उन्हें कौन संचालित कर रहा है और कौन-कौन वहां कर्मचारी हैं, इसका भी रिकार्ड तैयार किया जा रहा है।