जंगलों में ऑपरेशन के लिए जाने जाते हैं C-60 कमांडो, नाम से ही कांपते है नक्सली

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नई दिल्ली: नक्सलवाद देश की आंतरिक सुरक्षा के लिए ख़तरा बनता जा रहा है। इसके खात्मे के लिए पुलिस और सुरक्षाबल लगातार नक्सलियों के खिलाफ कार्रवाई कर रहे है। आज भी गढ़चिरौली के जंगलों में C-60 कमांडोज ने नक्सलियों के खिलाफ कार्रवाई करते हुए 13 नक्सलियों को ढेर कर दिया है। नक्सलियों के खिलाफ करवाई में अक्सर C-60 कमांडोज का नाम सुनने में आते है। आखिर ये कमांडोज हैं कौन और इनका काम क्या होता है। इन कमांडोज के बारे में आज हम आपको पूरी जानकारी देने जा रहे हैं।

दरअसल, C-60 कमांडोज नक्सलियों के काल है। इन्हें नक्सलियों के खिलाफ ऑपरेशन के लिए स्पेशल ट्रेनिंग दी जाती है। चूंकि नक्सली घने जंगलों में छिपे रहते है, ऐसे में इन कमांडोज को घने जंगलों और पहाड़ी क्षेत्रों में ऑपरेशन के लिए ट्रेन किया जाता है।

C-60 कमांडो की ट्रेनिंग देश के बेहतरीन संस्थानों जैसे- नेशनल सिक्योरिटी गार्ड कैंपस, मानेसर, पुलिस ट्रेनिंग सेंटर, हजारीबाग, जंगल वॉरफेयर कॉलेज, कांकेर और अनकंवेशनल ऑपरेशन ट्रेनिंग सेंटर, नागपुर में की जाती है।

जंगल में नक्सलियों के खिलाफ ऑपरेशन के अलावा C-60 कमांडो का काम नक्सली लोगों का सरेंडर और उन्हें समाज की मुख्यधारा से जोड़ना भी है। इसके लिए C-60 कमांडो की यूनिट नक्सलियों के परिवार से मिलती है और उन्हें पूर्व में नक्सली रहे लोगों के लिए सरकार की स्कीमों के बारे में बताती है।

1980 के दशक में नक्सलियों की एक्टिविटी पहले महाराष्ट्र और फिर आंध्र प्रदेश में तेजी से बढ़ना शुरू हुई। महाराष्ट्र का गढ़चिरौली जिला इससे सबसे ज्यादा प्रभावित था। यहां नक्सलियों की हिंसा की घटनाएं बढ़ने लगी थीं। इसको देखते हुए साल 1990 में पुलिस ऑफिसर केपी रघुवंशी को नक्सलियों के खिलाफ टीम बनाने की जिम्मेदारी दी गई। उन्होंने कमांडो फोर्स का गठन किया।

केपी रघुवंशी ने कमांडो फ़ोर्स का गठन किया। इस तरह गढ़चिरौली में 60 कमांडो की टीम को तैयार किया गया। इन कमांडो को उसी इलाके से चुना गया था, जहां से नक्सली अपने फाइटर भर्ती करते थे। उसी इलाके से होने की वजह से ऑपरेशन के दौरान कमांडो को राज्य की दूसरी यूनिट के मुकाबले एडवांटेज रहता था क्योंकि वे इलाके से पूरी तरह से वाकिफ थे। इन्ही कमांडो को C-60 कमांडो कहा गया।

C-60 कमांडो जंगल में तेजी से मूवमेंट करते थे और लोकल लोगों से भी उनका अच्छा संपर्क था। C-60 कमांडो यूनिट का मोटो है ‘वीर भोग्या वसुंधरा।’ नक्सलियों की बढ़ती गतिविधि को देखते हुए साल 1994 में C-60 कमांडो की दूसरी ब्रांच का गठन किया गया। तभी से नक्सली इन कमांडोज से खौफ खाते है।

 

 

 

 

 

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