तालिबानी राज में बिना हिजाब और बुर्के के रही नदिया, मकसद को अंजाम देकर छोड़ा देश

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नई दिल्ली, अफगानिस्तान में तालिबान राज के साथ ही महिलाओं पर पाबंदी और अत्याचार का दौर भी लौट आया है। तालिबानियों की क्रूरता के वीडियो पूरी दुनिया सोशल मीडिया पर देख रही है। तालिबानियों के जुल्म की सबसे ज्यादा शिकार महिलाएं हो रही हैं। अफगानिस्तान में पुरानी कहानियां ज़िंदा होने के साथ ही नदिया गुलाम का नाम सुर्ख़ियों में आ चुका है। नदिया 10 साल तक तालिबानियों को धोखे में रखकर अंतर्राष्ट्रीय ख्याति पा चुकी हैं।

तलिबान की आंखें में धूल झोंककर नदिया 10 साल तक पुरुषों की तरह रहीं। ऐसा इसलिए क्योंकि अफ्गानिस्तान में तालिबान के सत्ता में आने के बाद लड़कियों को ना पढ़ने की इजाजत थी और ना ही नौकरी करने की लेकिन नदिया हमेशा से ही कुछ करना चाहती थी।

छोटी सी उम्र में ही नदिया को अपना घर संभालने के लिए झूठ बोलना पड़ा। जब वह 8 साल की थी, तब उसके घर पर बम फेंक दिया था। इस घटना में उसके भाई की मौत हो गई थी और नदिया घायल हो गई थी। इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती नदिया अपने आसपाय का माहौल देखकर समझ गई कि युद्व किस तरह से जिंदगी बर्बाद कर देता है।

हालात देखकर नदिया ने जो फैसला लिया उसमें उसे हर कदम पर खतरा था। 11 साल की उम्र में नदिया ने अपनी पहचान खत्म कर ली और अपने भाई की पहचान के साथ जीने लगी। तालिबान जैसे खतरनाक राज में भी नदिया ने अपने मकसद के लिए सबकुछ झेला। वह महिला होकर भी बिना बुर्का और हिजाब के घूमतीं रहीं।

कई बार ऐसा हुआ कि नदिया की सच्चाई सामने आने वाली थी लेकिन उनकी किस्मत ने उनका साथ दे दिया। काम पर भी उन्हें लड़कों के कपड़े पहनकर ही जाना पड़ता था। कई बार तो पह खुद भूल जाती थी कि वह लड़की है। परिवार की आर्थिक मदद के लिए वह 10 साल तक संघर्ष करतीं रहीं।

आखिरकार 15 साल के संघर्ष के बाद एक एनजीओ की सहायता से नदिया देश से निकलने में कामयाब रही। वह स्पेन में अफ्गान शरणार्थी के तौर पर रह रहीं है। नदिया सालों से कह रही हैं कि तालिबान अफ्गानिस्तान से कहीं नहीं गया है। उव्होनें आरोप लगाया कि यूएस और बाकी देशों की सेनाएं लोगों को हथियार थमा रही है और उन्हें धोखा दे रही है।

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